Book Title: Catalogue of Gujarati Manuscripts
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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७८६ शील(देवोमुनि
१-शंखेश्वर पार्श्वनाथ छंद ले.स. १९मु शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ६ थी८; २१४१२.८ से.मि. गाथा ६५.
__ कर्ता-मात्र नामनिर्देश मळे छे. (गा. ६३; ६५.) प्र.सं./६१८४
परि./२७०६/३ २-शंखेश्वर पार्श्वनाथ छद ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ १ थी ३; २३.५४
१०.५ से.मि. पय ६५. प्र.स./६१८५
परि /८१०९/१ श्रीधर (व्यास) - सप्तशतिका छंद ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ६; २०.५४११.३
से.मि. पद्य १२१.
___ कर्ता-प्रसिद्ध 'रणमल्ल छंद' वाळा, वि.स. १६मी सदीमां नेांधायेला छे. जैनेतर छे.
(गू. हा. सं. या. पृ. २३२.) प्र.स./६१८६ .
परि./८१२८/१ श्रीसार (ख.)
फलवर्धि पार्श्वनाथ छंद ले.स. १७१५; हाथकागळ पत्र ७ थी ८; २४.७४१०.७ से.मि. पद्य १३.
कर्ता-खरतरगच्छमा क्षेमशाखाना रत्नहर्षना शिष्य छे. अमनी कृतिओ वि.स. १७मी सदीनी छेल्ली वीसीनी रचेली मळे छे. (जै. गू. क. भा. १. पृ. ५३०.) प्र.सं./६१८७
परि./६३६६/४ सहजसुंदर (उ.)
१-गुणरत्नाकर छंद र.स. १५७२, ले.स. १७१६; हाथकागळ पत्र २१; २४.८x १०.८ से.मि.
कर्ता-उपकेशगच्छमां रत्नसमुद्र उपा. ना शिष्य छे. अमनी वि.स. १५७० नी रचना नेांधायेली छे. (जै. गू. क. भा. १. पृ. १२१.) पाटणमां पूर्णिमागच्छना विनयप्रभरिसे
राजरत्नमुनि सारु प्रति लखी. प्र.स./६१८८
परि./२६४५ २-गुणरत्नाकर छंद र.स. १५७२ ले-स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५;
२५४११.५ से.मि. अपूर्ण, प्रसं/६८९
परि./४३८० ३--गुणरत्नाकर छंद र.सं. १५७२ ले.स. १६७०; हाथकागळ पत्र । थी १४; २४.८४११.२ से.मि.
. विजयसेनसूरिना शासनमां कल्याणकुशलगणिना धर्मबंधु (गुरुबंधु) ५. दगाकुशलगणिना
शिष्य सुमतिकुशलगणिले प्रति लखी. प्र.स./६१९०
परि./५०६८/१
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