Book Title: Budhjan Satsai Author(s): Nathuram Premi Publisher: Jain Granth Ratnakar Karyalay View full book textPage 4
________________ बुधजन सतसईजैन-साहित्यकी दयनीय दशाको देखकर वयोवृद्ध मास्टर मोतीलालजी संघी, प्रबन्धक श्रीसन्मति पुस्तकालय जयपुरसे न रहा गया । आपने जयपुरीय जैनविद्वानों तथा कवियोंकी कृतियोंका उद्धार करनेका संकल्प किया, उसीके फल स्वरूप आप अनेक कष्टोंको सहते हुए खोजका काम कर रहे हैं, इस खोजके सम्बन्धमें कई जैनपत्रोंमें लेख निकल चुके हैं। आज हम सतसईके पाठकोंके समक्ष उसके रचयिता कविवर श्रीमदीचन्द्रजी वजकी पवित्र जीवनी रखते हैं। यह हमें मास्टर सा० की कृपा से प्राप्त हुई है, इस कृपाके लिये हम उनके अत्यन्त कृतज्ञ हैं। हमारी हार्दिक भावना है, कि मास्टर साहेब को इस कार्यमें दिन दूनी रात चौगुनी सफलता प्राप्त हो, हर एक जैनी का कर्तव्य है कि वह मास्टर साहेब को इस कार्य में यथाशक्ति सहायता दे।Page Navigation
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