Book Title: Bruhatkalp Sutram Pithika Part 01
Author(s): Sheelchandrasuri, Rupendrakumar Pagariya
Publisher: Prakrit Granth Parishad
View full book text ________________ भाष्यगाथा-४६३-४६९] 123 तं अकंतं / गामो वा णिविट्ठो तत्थ, वतिया वा, खंधावारो वा, इत्थी वा तत्थ, अपुमो वा, मेधुणट्ठियाणि संजते एंते पडिक्खंति / पढमासति वाघाए, पुरिसालोगम्मि होति जयणाए। मत्तग अपमज्जण डगल कुरुअ तिविहे दुविहभेदो // 467 // "पढमासति०" गाधा / एवं असति वाघाते वा पढमस्स कत्थ गंतव्वं ? / उच्यतेबितियं. थंडिलं अणावातसंलोगं संजयाणं अण्णसंभोतियाणं संविग्गाणं गंतव्वं / तस्सासति अमणुण्णाण चेव आवातं गंतव्वं / तत्थ अपरिणता पुव्वं चेव गाहितव्वा / जधा-केसिंचि आयरियाणं विसरिसाओ सामायारीओ। तो तुब्भे ते मा पडिचोएज्जाह, तुब्भे वि तेहिं चोइया उदासीणा होज्जाध / एवं असंखडादयो दोसा परिहरिया भवंति / असति अमणुण्णावातस्स पासत्थादीणं जं आलोगं तं जंति / तस्सासति तेसिं चेव पासत्थादीणं आवातं वच्चंति / तत्थ खुड्डादी अपरिणता य पुव्वं गाहेतव्वा / जहा-एते णिद्धम्मा इत्यादि विभासा / तं तुब्भे मा चित्ते करेज्जाध-'एतं सुंदरं'ति / संजतिसंलोगावातं सव्वपयत्तेण परिहरेज्जा / तत्थ 'संगारदिण्णउ त्ति संकादी, आत-परोभयसमुत्था य दोसा / एसा सपक्खजतणा / ___इदाणि परपक्खजतणा-पासत्थादियावातस्स असति "पुरिसालोगम्मि होति जतणाए"। एत्थ 'जयण'त्ति वाक्यं पडितं / तिविधं ति–पुरिसा इत्थीओ नपुंसगा / दुविध भेद त्ति-एतेसिं २एक्केको असोयवादी य सोयवादी य / अधवा दुविधभेदो-सावगा असावगा य / अधवा तिविधभेदो-थेर मज्झिम तरुणा / अधवा तिविधा पायाऽवच्चकुडुंबिया डंडिया य। एवं इत्थि-णपुंसगाण वि भेदो / एत्थ जा पुरिसालोगे जतणा सा पुरिसावाते वि। तेण तं पुरिसावाते चेव भणीहामि लाघवत्थं / तेण परं पुरिसाणं, असोयवादीण वच्च आवायं / इत्थि-णपुंसालोए, परम्मुहो कुरुकुया सा य // 468 // "तेण परं०" पुव्वद्धं / 'तेण परं' ति, पुरिसालोगस्स परतो असति सोयवादीणं तत्थ जतणा / 'मत्तग'त्ति पत्तेयमत्तएहिं पउरं दवं गेण्हंति, डगलादी ण पमज्जंति, कुरुकुचं च करेंति। मट्टियादीहिं मत्तगस्स य बाहिरकप्पं करेंति / असति ताधे "इत्थि-णपुंसालोए" पच्छद्धं / सोयवादीणं संलोगे परम्मुहो कुरुकुचा / सा एव // . तेण परं आवातं, पुरिसेतर-इत्थियाण तिरियाणं / तत्थ वि य परिहरेज्जा, दुगुछिए दित्तऽदित्ते य // 469 // "तेण परं०" गाधा / कंठा / तदसति आवातं पाता-ऽवच्चादीणं, इत्थि–णपुंसाणं 1. ०वातं सं० पा० खं० / 2. संगारा० पू० 2 / 3. एक्केक्का पू० 2, पा० /
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