Book Title: Bisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Author(s): Mangilal Bhutodiya
Publisher: Prakrit Bharati Academy

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Page 466
________________ जैन-विभूतियाँ के इस प्रतिष्ठापक का सम्मान कर उन्हें मरणोपरान्त 'समाज रत्न' के विरुद से अलंकृत किया। उनके सुपुत्र उन्हीं आदर्शों के उन्नयन हेतु संकल्पबद्ध हैं। 438 30. स्व. महालचन्द बोथरा (1908-2002 ) श्री कन्हैयालाल बोथरा धर्म एवं समाज की रूढ़ियों एवं अंधविश्वासों के कट्टर विरोधी लाडनूँ के श्री धनसुखदासजी बोथरा के सुपुत्र श्री महालचन्दजी धार्मिक एवं सामाजिक क्रांति के सूत्रधार थे। उन्होंने भारत में ब्रिटिश शासन एवं रियासती राज्यों में रजवाड़ों के जुल्मों के विरुद्ध निरन्तर संघर्ष किया। लाडनूँ नगर में उनके क्रांतिकारी गीतों की महक बसी है। वे गाँधी, विनोबा से जुड़े रहे। नशा मुक्ति, गौ-सेवा, हरिजनोद्धार, खादी, शिक्षा, साहित्य एवं खेल जगत उनके सक्रिय सहयोग से सदैव लाभान्वित होते रहे। उनके सुपुत्र श्री कन्हैयालालजी खादी उद्योग से जुड़े रहकर उस राष्ट्रीय परम्परा को अक्षुण्ण रखने के लिए प्रयत्नशील हैं। 31. श्री रतनचन्द जैन सन् 1939 में जन्मे श्री डूंगरगढ़ (राजस्थान) के ओसवाल श्रेष्ठ श्री सोहनलालजी डा के सुपुत्र श्री रतनचन्द धर्म एवं समाज में व्याप्त रूढ़ियों एवं अंधविश्वासों के विरुद्ध कलकत्ता में तरुण संघ के नेतृत्व में हुए आन्दोलनों की परम्परा के युवा प्रतिनिधि हैं। वे निरन्तर सरिता, आचार आदि पत्रिकाओं में लिखते रहे हैं। हाल ही में 'सर्जना' प्रकाशन बीकानेर से उनके दो ग्रंथ 'प्रेरक सूक्तियाँ' एवं 'प्रेरक प्रसंग प्रकाशित हुए हैं।

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