Book Title: Bijganit Purvarddh
Author(s): Bapudev Shastri
Publisher: Medical Hall Press

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Page 282
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एमघातसमीकरणसम्बन्धि प्रश्न । और छोटे में सो को उतना ही घटा दिया । इस से सब रुपयों का व्याज उस के के इतना बढ़ गया। परन्तु जो बड़े विभाग में ध्यान का भाव ज्यों का त्यों रख के छोटे विभाग में सौ का व्याज दो रुपये घटाया जाता तो एक बरस में सब रुपयों के व्याज के से ५० रुपये अधिक व्याज प्राता। तो मल धन के दो विभाग कितने २ थे और हर मक विभाग में सो को किसाना व्याज था सो कहो? उत्तर, बड़ा विभाग ४००० रुपये और छोटा ३००० रुपये और बड़े में एक बरस में सौ को ५ रुपये व्याज और छोटे में रुपये। (८) एक पाराम (अर्थात बगीचा) आयत क्षेत्र के आकार का था उस में एक कोने में उसी प्रकार का एक तलाव ऐसा था कि उस का कर्णसूत्र आराम के कर्णसूत्र ही में था और उस की परिमिति (अर्थात चारों भुजों का योग) आराम की परिमिति से ४२० हाथ न्यन थी और उस का क्षेत्रफल पाराम के क्षेत्रफल का है अर्थात पोडशांश था। नो उस आराम की लम्बाई ४ हाथ और अधिक होती और चौडाई ३.हाथ अधिक होती तो उस आराम का क्षेत्रफल २ वर्ग हाथ बढ जाता। तो उस पाराम की परिमिति कितनी थी और उस की लम्बाई और चौडाई कितनी २ थी? उत्तर, आराम की परिमिति ५६० हाथ, लम्बाई १६० हाथ और चौड़ाई १२० हाथ । (९०) एक महाजन ने ३०३७ रुपयों के विषम तीन विभाग कर के तीन मनुष्यों को मण दिये। उस में एक बरस में सौ रूपयों को ४ रूपये व्याज के भाव से पहिले मनुष्य को दिये, ५ रुपये व्याज के भाव से दूसरे को और ६ रुपये ध्याज के भाव से तीसरे को दिये। उन तीनो मनुष्यों ने अढाई बरस में अपना र व्याज समेत ऋण समाम हि ले For Private and Personal Use Only

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