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संपदा का नाम
१. स्तोतव्य संपदा २. ओघहेतु संपदा ३. विशेषहेतु संपदा
४. उपयोग संपदा
५. तद्धेतु संपदा
६. सविशेषोपयोग संपदा
७. स्वरूप संपदा
८. निजसम फलद संपदा
" शक्रस्तव की संपदाएँ"
संपदा का प्रथम पद
नमुत्थुणं
आइगराणं
(स्वतुल्य पर फल कर्तृत्व संपदा)
९. मोक्ष संपदा
पुरिसुत्तमाणं
लोगुत्तमाणं
अभयदयाणं
धम्मदयाणं
अप्पsिहय वरना
जिणाणं
सव्वनूणं
सर्वपद
ર
३
४
५
9
9
२
36
३
३३
नमुत्थुणं और चैत्यस्तव के पद और वर्णों की संख्या
दो - सग - नउया वना नव संपय पय तित्तीस सक-थए ।
चेइयथय इसंपय तिचत्त-पय वन्न दु-सय-गुण- तीसा ॥ ३६ ॥
(अन्वयः - सक्क - थए दो - सग-नउया वन्ना, नव संपय, तित्तीस पय, चेइय थयSg संपय, ति चत्त-पय, दु-सय-गुण- - तीसा वन्न ॥३६॥
शब्दार्थ:- दो - सग - नउया = दो सौ सत्ताणुं, चेइयथय = चैत्यस्तव (अरिहंत चेइ.), वन्ना=अक्षर, नव = नौ, संपय= संपदा, पय= पद, तित्तीस = तेंत्रीस, सक्क थए - शक्रस्तवमें, अट्ठ = आठ, संपय-संपदा, ति चत्त-पय- तियालीस पद, वन्न = वर्ण, दु-सय-गुण- तीसा दो सौ उनतीस ॥३६॥
गाथार्थ:-शक्रस्तव में दो सौ सत्ताणुं अक्षर, नौ संपदा, तेंतीस पद है । चैत्यस्तव आठ संपदा, तियालीस पद, दो सौ उनत्तीस अक्षर है ।