Book Title: Bhashya Trayam Author(s): Devendrasuri Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar View full book textPage 59
________________ पच्चक्खाणमिणं सेविऊण, भावेण जिणवरुद्दिलु पत्ता अणंतजीवा, सासय सुक्खं अणाबाहं ॥ ४८ ॥ श्री जिनेश्वर प्रभु द्वारा कहे गये इस प्रत्याख्यान भाष्य का भाव से आचरण कर अनंत जीवोने पीडारहित मोक्ष सुख को प्राप्त किया ॥४८॥ भाष्यत्रयमPage Navigation
1 ... 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66