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महाभास्कर
३०५ जो उद्देश्य बहुत रहें और विधेय एक हो तो अप्तिम उद्देश्य का लिङ्ग होना और विधेय संज्ञा हो तो विधेय के अनुसार लिङ्ग वचन होगा । जेसे कश्मीर के लड़के लड़कियां सुन्दर होती हैं घास पेड़ बूडी लता बल्ली बनस्पति कहती हैं । __३०६ यदि एक ही क्रिया के अनेक का हो और उनके बीच में विभाजक शब्द रहे तो क्रिया एकवचनान्त होगी। जैसे मेरा घोड़ा वा खेत आज बेचा जायगा मुझे न भख न प्यास लगती है ॥ ___ ३०७ यदि एक क्रिया के उत्तश्च मध्यम और अन्यपुरुष का हों तो ब्रिया उत्तमपुरुष के अनुसार होगी। जैसे हम और तुम चलेंगे त और में पढ़ेगा वे और हम तुम सुनेंगे ॥ ___३०८ यदि किसी क्रिया के मध्यम और अन्यपुरुष कर्ता रहें तो क्रिया मध्यमपुरुष के अनुरोध से होगी। जेसे वह और तुम चलो वे और तुम पढ़ा ॥
विशेष्य और विशेषण का वर्णन । ____३६ वाक्य में जो प्रधान अर्थात मुख्य संज्ञा रहती है उसे विशेष्य कहते हैं और उसके गुण बतानेवाले शब्द के। विशेषण । जैसे यह यशस्वी पुरुष है। यहां पुरुष प्रधान अर्थात मुख्य संज्ञा है इसलिये उसे विशेष्य कहते हैं और उसके गुण का बतानेवाला यशस्वी शब्द अप्रधान अर्थात सामान्यवाचक है इसलिये उसको विशेषण कहते हैं। ऐसे ही सर्वच जाना ॥
३८० कहीं २ केवल विशेषण आजाता है। जैसे ज्ञानियों को ऐसा करना उचित नहीं है। यहां उसके विशेष्य मनुष्य शब्द का अध्याहार होता है ऐसे ही और भी जाना ॥
३८१ केवल आकारान्त गुणवाचक शब्दों में विशेषता होती है कि बधान कती के एकवचन को छोड़कर और शेष कारकों के एकवचन बहुवचन में आ को ए हो जाता है। जैसे ऊंचे पेड़ लम्बे मनुष्यों को सुन्दर स्त्री सुन्दर लड़का सुन्दर बन ॥
३८२ यदि आकारान्त गुणवाचक स्त्रीलिङ्ग शब्द का विशेषण होकर श्रावे तो सब कारकों में उसके आ को ई होती है। जेसे मोटी रस्सी मोटी रस्सियां मोटी रस्सी से मोटी रस्सियों से ॥
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