Book Title: Bhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Author(s): Amit Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 218
________________ जैन भाइयों ! इस आन्दोलन में तुम्हें बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए। तुम्हारे शामिल हुए बिना यह आन्दोलन अधूरा लगता है । राजनीति के मैदान में आकर तुम्हें अंग्रेजी शासन से मुकाबला लेना चाहिए। इस शासन के नष्ट होने के बाद ही देश के समस्त प्राणियों का दुःख दूर होगा। इस प्रकार पत्र ने जैन समाज को राष्ट्रीय कार्यों में सहयोग देने के लिए समय-समय पर प्रेरित किया । 'वीर' (पाक्षिक पत्र ) ने भी जैन समाज को आन्दोलन में भाग लेने को प्रोत्साहित किया तथा अंग्रेजी सरकार की खुले शब्दों में निन्दा की। एक अंक में पत्र ने लिखा कि वर्तमान सरकार की भारत पर राज्य करने की जो नीति है, वह किसी से छिपी नहीं है, यह सरकार बनियों की सरकार है । इस सरकार का मुख्य ध्येय भारत के धन से इंग्लैण्ड वासियों का पेट भरना है । पत्र ने आह्वान किया कि जैन समाज को ऐसी सरकार को समाप्त करने के लिए राष्ट्रीय नेताओं का साथ देना चाहिए तथा अपना धर्म समझकर सरकारी उपाधियों, सरकारी न्यायालयों, कौंसिलों, सरकारी विद्यालयों और विदेशी वस्त्रों का पूर्णतः बहिष्कार करना चाहिए । 'वीर' पत्र संयुक्त प्रान्त के उन जिलों की खबरों को प्रमुखता से प्रकाशित करता था, जिनमें स्वतंत्रता आन्दोलन का नेतृत्व जैन बन्धुओं द्वारा होता था । इनमें थे आगरा, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बिजनौर, कानपुर, मेरठ आदि जिले प्रमुख 1 'वीर' पत्र के विषय में इन्दौर से प्रकाशित मासिक पत्रिका 'तीर्थंकर' ने लिखा था - वीर पाठशालावादी और परीक्षाफल छापू अखबार नहीं था । वह जैन होते हुए भी एक व्यापक उदार राष्ट्रीय अखबार था । पत्र में आजादी, देशभक्ति, गाँधी, नेहरू, सुभाष चन्द्र बोस और ढिल्लन, सहगल, शाहनवाज की गिरफ्तारी के विरोध जैसे विषयों पर रचनाएँ छपती थी । राष्ट्रीय समाचारों, निर्णयों और घटनाओं को प्रमुखता से प्रकाशित किया जाता था । इनके साथ ताजा चित्र भी होते थे । वीर में छपे समाचारों को पढ़ने के लिए लोग टूट पड़ते थे। हर कस्बे में वीर के बहुत ग्राहक थे । ग्राहक के साथ ही इसमें लिखने वाले भी बहुत थे । 1 अंग्रेजी सरकार ने वाराणसी से प्रकाशित 'अहिंसा' (साप्ताहिक), हाथरस से प्रकाशित ‘जैन मार्तण्ड’ (मासिक), आगरा से प्रकाशित 'श्वेताम्बर जैन ' (साप्ताहिक), हिन्दुस्तान समाचार (दैनिक पत्र ), देवबन्द से प्रकाशित 'जैन प्रदीप' (मासिक) आदि जैन पत्र-पत्रिकाओं को सरकार विरोधी समाचार छापने के कारण कई बार नोटिस भेजा तथा उनसे जमानत माँगी गयी । तत्कालीन समाचार पत्र आज, जैन मित्र भी इस बात का समर्थन करते हैं । ब्रह्मचारी सीतलप्रसाद ने जैन मित्र (साप्ताहिक) के सम्पादक के रूप में निरन्तर स्वतंत्रता आन्दोलन से सम्बंधित लेख एवं समाचार प्रकाशित किये। जैन मित्र ने अंग्रेजी सरकार को कई बार खुली चुनौती दी। एक अंक में पत्र ने लिखा 216 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान

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