Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 02
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी
संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण संख्या प्रयोगनाय मुख्य गुण १८३७ चिञ्चास्वरसलेपः नेत्रोंको लाली, सूजन । १८५२ चन्दनाद्या वतिः । सर्व नेत्ररोग खड़क, स्राव । । १८५३ चन्द्रकला वर्ति शुक्र, जलस्राव, पिल्ल
तिमिर, खाज, काच, अञ्जनप्रकरणम् १४५७ गन्धकद्रुतिः पिल्ल,काच,कुकूणक,
१८५४ चन्द्रप्रभागुटी फूला, तिमिर, पटल, १४५८ गरुडवर्तिः दृष्टिवर्द्धक
निशान्ध्यं (रतौंधा) १८५५ चन्द्रप्रभावर्तिः
लालधारियां, पटल, १४५९ गरुडाञ्जनम् राज्यन्धता (रतौंधा)
रात्र्यन्वता (रतौंधा), दृष्टिवर्द्धक
तिमिर, मल। १४६१ गिरिकाद्यक्षिपूरणम् नेत्रफूला
| १८५६ , तिमिर,पिष्टक,पटल, १४६२ गुञ्जामूलाञ्जनम् तिमिर, अन्धता
पुष्प (फूला), १४६३ गुटिकाञ्जनम् कुकूणक ५८५७ चन्द्रोदयायर्तिः खुजली, आंखकी १४६४ तिमिर, कांच, कण्डू,
रसौली, ३ वर्षका फूला, अर्जुन, अर्म ।
फूला, रतौंधा। दिवान्ध्यम् , रतौंधा | १८५८ चन्द्रोदयावर्तिः । पिल्ल, खुजली, तिमिर नेत्राभिष्यन्द, (आंख १८५९ चिञ्चाद्यञ्जनम् स्राव, पिचिट, अदुखना)
र्जुन, काच १४६८ गुडूच्यादिवर्तिः समस्त नेत्ररोग १८६० चूर्णाञ्जनम् फूला, तिमिर, पिचिट १४६९ गुडूच्याद्यञ्जनम् पिल्ल, अर्म, तिमिर,
अर्बुद काच,खाज, लिङ्गनाश १८६१ , खुजली, रक्तस्राव, १४७० गुहामूलाञ्जनम् पिल्ल.
पलकोंके रोग १४७१ गोपयःसर्पिषोर्योगः नेत्रोंको स्वच्छ करता है| १८६२ , मल,कण्डू,कफ,काच १८४६ चतुर्दशाङ्गीवर्तिः तिमिरमें विशेष उप
२०८६ जङ्घास्थिवर्तिः अन्धता योगी (शिलालेखसे । २०८७ जातिपत्ररसाजनम् नक्तान्थ्य (रतौंधा) प्राप्त )
२०८८ जातिपुष्पादिगुटी काच,अन्धता,तिमिर
२०८९ जातीपुष्पाद्यञ्जनम् तन्द्रा १८४७चन्दनाञ्जनम् तिमिर
२०९०
.. नेत्रपाक १८४८ चन्दनादिचूर्णा
२०९१ जात्यादिवतिः नेत्रोंसे रक्त निकलना जनम् शुक्र (फूला), अर्म
२०९२ जात्याद्याश्च्योतनम् शुक्र (फूला) १८४९ चन्दनादिवर्तिः शिरोपात
२२०० टकनाद्यमञ्जनम् पलकोंके रोग, खाज तिमिर
रक्तस्राव। १८५१ चन्दनाद्यञ्जनम् नेत्रत्रण, शुक्र(फूला) । २५२६ तन्द्राहरीवर्तिः तन्द्रा
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