Book Title: Bhaktamara Rahasya
Author(s): Dhirajlal Tokarshi Shah
Publisher: Jain Sahitya Prakashan Mandir
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पर्युल्लसन्नरखमयूखशिखाभिरामौ। ण्ड स्वामिन् आगच्छ आगच्छ आत्ममन्नान आक
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ભકતોમર-ચન્મ બત્રીમાં उन्निद्रहेमनवपङ्कजपुञ्जकान्तिही अईणमो विग्योसहिपत्ताणं खडे ही मी कलिकु
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हर्षय आकर्षय आत्ममन्त्रान रक्षा रक्ष परमजान छिन्द • पादौ पदानि तब यत्र जिनेन्द्र! धत्तः
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छिन्द भगसमीहितं कुरु कुरु स्वाहा।" - पानि तत्र विबुधाः परिकल्पयन्ति ॥३२॥

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