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524 * ॥ मतभर तुभ्यं नमः ॥ हिन्दी (१७०) आचार्य मानतुंग अनेकान्त : वर्ष - २८, किरण - ६, फरवरी, १९६६ (१७१) आचार्य श्री मानतुंग दिगम्बर शास्त्र कैसे बने ? : प्रकरण-११, दर्शनविजय मुनि, जैन साहित्य
प्रकाश, पुष्प-२, अंक - ६०, १९३७ (१७२)
कविवर मानतुंग : सागर, प्रथम खंड, १९८२ (१७3) कल्याणमंदिर स्तोत्र : कमलकुमार शास्त्री, कुमुद (१७४) जैन साहित्य का बृहद इतिहास : डॉ. गुलाबचन्द चौधरी, भाग-६, पार्श्वनाथ विद्याश्रम, ग्रंथमाला
२०, वाराणसी, १९७३
जैन साहित्य और इतिहास : मुखतार - पंडित जुगलकिशोर, कलकत्ता, १९५६ (१७६) भक्तामर की श्लोक संख्या : जैन संदेश, २९, भाग ४१, संख्या ८०, शोधकण-३, मथुरा, १९७१ (१७७) भक्तामर के श्लोकों की संख्या ४४ या ४८ ? : श्रमण, वर्ष-२१, अंक-१००, ऑगस्ट, १९७० (१७८) भक्तामर के ४-४ अतिरिक्त पद्य : जैन संदेश, शोधांक २९, मथुरा, १९७१ (१७८) भक्तामर स्तोत्र के पादपूर्तिरूप स्तव काव्य : श्रमण, वर्ष २१, अंक ११, १९७० (१८०) भक्तामर कल्याणमंदिर उभय पादपूर्तिरूप पार्श्वनाथ स्तोत्र : जैन सिद्धांत भास्कर, भाग ३२,
किरण-२, १९७९ (१८१) भक्तामर स्तोत्र और वैदिक स्तुतियों का तुलनात्मक अध्ययन : सन्मति वाणी, वर्ष ८, अंक
१६, मे १९७९, इन्दौर (१८२) भक्तामर स्तोत्र : पंडित नथुराम प्रेमी, जैन ग्रंथ रत्नाकर कार्यालय, मुंबई, १९१६; और जैन
साहित्य और इतिहास, मुंबई, १९५६ (१८3) भक्तामर स्तोत्र : अनेकान्त, वर्ष २, किरण-१, नई दिल्ली, १९३८ (१८४) भक्तामर स्तोत्र परिचय : संपादक - हीरालाल जैन, कौशल, दिल्ली, १९५६ (१८५) भक्तामर स्तोत्रम् : राज विद्यामंदिर, प्रकाशन-१, द्वितीय संस्करण, वाराणसी, १९६९ (१८६) मानतुंगाचार्य और उनके स्तोत्र : मधुसूदन ढांकी, जितेन्द्र शाह (१८७) सचित्र भक्तामर रहस्य : संपादक - कमलकुमार शास्त्री कुमुद, बृहद् संस्करण, दिल्ली, १९७७ (१८८) संस्कृत काव्य के विकास में जैन कवियों का योगदान : ज्ञानपीठ, मूर्तिदेवी ग्रंथमाला, ग्रंथांक
१८, दिल्ली, १९७१ (१८८) सुरेन्द्र भक्तामर दर्शन (सचित्र) : संपादक - पीयूषभद्रविजय, प्रकाशक - सुयश पीयूषवाणी
ट्रस्ट, मुंबई