Book Title: Bhagvati Sutram Part 05
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: Hiralal Hansraj

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Page 491
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra व्याख्याप्रक्षप्तिः ॥ १४१७॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir जायं च णं से पुरिसे तलप्फले अप्पणी गरुयत्ताए जाव जीविपाओ वधरोवेति तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाब चउहि किरियाहिं पुट्ठे, जेसिपि णं जीवाणं सरीरेहिंतो तले निव्वत्तिए तेवि णं जीवा काइयाए जाब चउहिं किरियाहि पुढा, जेसिंपिणं जीवाणं सरीरेहिंतो तालष्फले निव्वत्तिए तेवि णं जीवा जाव पंचहि किरिया हिं पुट्टा, जेबिन से जीवा अहे बीससाए पश्चोत्रयमाणस्स उबग्गड़े बहंति तेऽवि णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरिगाहिं पुट्ठा ॥ [प्र० ] हे भगवन् ! कोई पुरुष वाडना झार उपर चढे, अने ते ताडना झाड उपर चढी त्यां रहेला ताडना फळने हलावे के नीचे पाडे तो ते पुरुषने केटली क्रियाओ लागे ? [अ०] हे गौतम ! जेटलामा पुरुष ताड उपर चढी ताडना फळने इलावे के नीचे पाडे, तेटलामां ते पुरुषने कायिकी बगेरे पांच क्रियाओ लागे. जे जीवशेना शरीरद्वारा वाड वृक्ष तथा ताडनुं फळ उत्पन्न थयुं छे ते जीवोने पण कायिकी बगेरे पांच क्रियाओ लागे. [प्र०] हे भगवन् ! (ते पुरुषे इलाव्या के तोडघा पछी) ते ताडनुं फळ पोताना भारने लधे यावत्-नीचे पढे, अने नीचे पडता ते ताडना फळद्वारा जे जीवो हणाय, यावत्-जीवितथी जूदा थाय, तो तेथी ते फळ तोडनार पुरुषने केटली क्रियाओ लागे ? [अ०] हे गौतम! जेटलामां ते पुरुष ताडना फळने तोडे अने पछी ते फळ पोताना मारने लीघे नीचे पडता जीवोने यावत्-जीवितधी जूदा करे तो वेटलामां (तोडनार) पुरुषने कायिकी बगेरे चार क्रियाओ लागे, जे जीवोना शरीरथी ताडनुं वृक्ष नीपज्युं के वे जीवोने यावत् चार क्रियाओ लागे, अने, जे जीवोना शरीरथी साडनुं फळ नीपज्यं छे ते जीत्रोने तो कायिकी यावद यांचे क्रियाओ लागे. तथा जे जीवो स्वाभाविक रीते नीचे पडता ताडना फळना उपकारक थाय For Private And Personal १७ शतके उद्देशः१ ॥१४१७॥

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