Book Title: Bhagvati Sutram Part 03
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: Hiralal Hansraj

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Page 146
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandit व्याख्या प्रज्ञप्तिः ॥७१६॥ पण्णत्ते?, एवं एएणं अभिलावेणं भेदो जहा ओगाहणसंठाणे जाव पज्जत्तसव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइयकप्पातीयवेमाणियदेवपंचिंदियतेयासरीरप्पयोगबंधे य अपज्जत्तसव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोषवाइयजावबंधे य । तेयासरीरप्पयोग-18|| ८ शतके बंधे णं भंते! कस्स कम्मस्स उदएणं?, गोयमा! वीरियसजोगसहब्बयाए जाव आउयं च पडुच तेयासरीरप्पयो | उद्देशः९ गनामाए कम्मस्स उदएणं तेयासरीरप्पयोगबंधे। तेयासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! किं देसबंधे सब्वबंधे?, गोयमा! ॥७१६॥ देसबंधे, नो सब्वबंधे । तेयासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कालओ केवचिरं होइ?, गोयमा! दुविहे पण्णत्ते, तंजहाअणाइए वा अपज्जवसिए, अणाइए वा सपज्जवसिए॥ तेयासरीरप्पयोगबंधतरेण भंते! कालओ केवचिरं होइ?, गोयमा! अणाइयस्स अपज्जवसियस्स नत्थि अंतरं, अणाइयस्स सपजवसियस्स नस्थि अंतरं ॥ एएसिणं भंते ! जीवाणं तेयासरीरस्स देसबंधगाणं अबंधगाण य कयरे २ जाव विसेसाहिया वा?, गोयमा! सम्बत्थोवा जीवा तेयासरीरस्स अबंधगा, देसबंधगा अणंतगुणा ४ ( सूत्रं ३४९)॥ . | [प्र०] हे भगवन ! तैजसशरीरप्रयोगबंध केटला प्रकारनो कह्यो छे? [उ०] हे गौतम ! पांच प्रकारनो कह्यो छे, ते आ प्रमाणे१ एकेन्द्रिय तैजसशरीरमयोगबन्ध, २वीन्द्रिय तेजसशरीरपयोगबन्ध, ३ त्रीन्द्रिय तैजसशरीरप्रयोगबन्ध, यावत् ५ पंचेन्द्रिय तेजसशरीरप्रयोगबन्ध. [प्र०] हे भगवन् ! एकेन्द्रियतैजसशरीरप्रयोगबन्ध केटला प्रकारे कयो छे ? [उ.] ए अमिलापथी ए प्रमाणे जेम · अवगाहनासंस्थान' मां भेद कयो छे तेम अहीं पण कहेवो, यावद् पर्याप्त सर्वार्थसिद्ध अनुसरौपपातिक कल्पातीत वैमानिक देवपंचेन्द्रिय तेजसशरीरमयोगबन्ध अने अपर्याप्तसर्वार्थसिद्ध अनुत्तरौपपातिक तैनसशरीरपयोगबन्ध छे. [म.] हे भगवन् ! तैनसश For Private and Personal Use Only

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