Book Title: Bhagvati Sutram Part 02
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: Hiralal Hansraj

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Page 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्याख्याप्रज्ञप्ति ॥३३०॥ ५शतके | उद्देशः१ ||३३०|| कर शतक ५ ( उद्देशक १) चंपरवि १ अनिल २ गंठिय ३ सद्दे ४ छउमायु ५-६ एयण ७ णियंठे ८ । रायगिहं ९ चंपाचंदिमा १० य दस पंचमं मिसए ।। ३४ ॥ (चोया शतकना ठेवटना भागमा लेश्याओ संबंधी विचारो जणाच्या छे, माटे हवे लेश्यावाला जीवो संबंधी जणावता एवा | पांचमा शतकनो आरंभ थाय हे.) | हवे प्रथम उद्देशकमां मूर्य संबंधी प्रश्नोत्तरो , ए प्रश्नो चंपा नगरीमा पूछाया हता. वीजा उद्देशकमां वायु संबंधी सवालोनो निर्णय छे. त्रीजा उद्देशकमां जालग्रंथिकाना उदाहरण उपरथी जणानी हकीकतनो निर्णय छे. चोथा उद्देशकमां शब्द विषे पूछाएला प्रश्नो अने उत्तरोनो निर्णय छे. पांचमा उद्देशामा छद्मस्थो संबंधी हकीकत छे. छट्ठा उद्देशामां आयुष्यनुं ओछापणुं के वधारेपणुं, ए संबंधी हकीकत छे. सातमा उद्देशकमा पुद्गलोना कंपन संबंधी विचार कर्यो छे. आठमा उद्देशकमां निग्रंथीपुत्र नामना साधुए | पदार्थो संबंधे विचार कयों छे. नवमा उद्देशकमां राजगृह नगर संबंधी पर्यालोचन छे अने दशमा उद्देशकमां चंद्र संबंधी आलोचना छे-ते आलोचना चंपा नगरीमा थइ हती. ए प्रमाणे आ पांचमा शतकमां दस उद्देशक के. तेणं कालेणं २ चंपानाम नगरी होत्था, वन्नओ, तीसे णं चंपाए नगरीए पुण्णभद्दे नामे चेहए होत्था वण्णओ, सामी समोसढे जाव परिसा पडिगया । तेणं कालेणं २ समणस्स भगवओ महावीरस्स For Private and Personal Use Only

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