Book Title: Bhagvati Sutram Part 02
Author(s): Sudharmaswami,
Publisher: Hiralal Hansraj
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
व्याख्या
प्रज्ञप्ति ॥५५७||
|७ शतके उरेशः९ ॥५५७।।
4
4
0--
आदि करनारा छे, यावत् [ सिद्धिने ] प्राप्त करवानी इच्छावाला छे; जे मारा धर्माचार्य अने धर्मना उपदेशक वे. त्यां रहेला भगवानने अहीं रहेलो हुं वांदुं छु. त्यां रहेला भगवान् मने जुओ. यावत् वंदन नमस्कार करे छे. बंदन नमस्कार करीने ते वरुण आ प्रमाणे बोल्यो-पहेलां में श्रमण भगवान महावीरनी पासे स्थूलप्राणातिपातनुं प्रत्याख्यान कयुं हतुं, ए प्रमाणे यावत् स्थूल परिग्रहनु
प्रत्याख्यान जीवनपर्यंत कयु हतुं, अत्यारे अरिहंत भगवान् महावीरनी पासे सर्व प्राणातिपातन प्रत्याख्यान यावज्जीव करूं छु. ए काप्रमाणे स्कन्दनी पेठे सर्व जाणवू. आ शरीरनो पण छेल्ला श्वासोच्छवासनी साथे त्याग करीश, एम धारी सन्नाहपट्ट-बख्तरने छोडे।
छे, बख्तरने होडीने (बाणादिना) शल्यने बहार काढे छे, बहार काढीने आलोचना लइ प्रतिक्रान्त-पडिकमी समाधिने प्राप्त थयेलो ते कालधर्म पा.यो. हवे ते नागना पौत्र वरुणनो एक प्रिय बालमित्र रथमुशल संग्राम करतो हतो, ज्यारे ते एक पुरुषथी सख्त घायल थयो, सारे ते शक्तिरहित, बलरहित यावत पोते 'टकी नहि शके' एम समजी नागना पौत्र वरुणने रथमुशल संग्रामथी बहार नीकळता जुए, जोइने ते घोडाओने थोभावे छे, थोभावीने वरुणनी पेठे यावत् घोडाओने वीसर्जित करे छे, अने पटना (वस्त्रना) संथारा उपर दो छे. संथारा उपर पूर्वदिशा सन्मुख बेसीने यावत् अंजली करीने आ प्रमाणे बोल्यो -हे भगवन ! मारा प्रिय बालमित्र नागना पौत्र वणना जे शीलवतो, गुणवतो, विरमणवतो, प्रत्याख्यान अने पोषधोपवास होय ते मने पण हो, एम कही बख्तरने छोडे छेछोडीने शल्यने काढे छे, शल्यने काढीने ते अनुक्रमे कालधर्म पाम्यो. हवे ते नागना पौत्र वरुणने मरण पामेलो जाणीने पासे रहेला वानभ्यंतर देवोए तेना उपर दिव्य अने सुगंधी गंधोदकनी दृष्टि करी, पांच वर्णना फुलो तेना उपर नांख्या, तथा | दिव्य गीत गान्धर्वनो शब्द पण कया. त्यारवाद ते नागना पौत्र वरणनी दिव्य देवर्द्धि दिव्य देवद्युति अने दिव्य देवप्रभाव
--
--
--
--
For Private and Personal use only

Page Navigation
1 ... 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248