Book Title: Bhagvati Sutra Part 04
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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भगवती सूत्र - १२३.९ भव्यद्रव्यादि पांच प्रकार के देव २०८२
हिंतो वि उववज्जंति, भेओ जहा वक्कंतीए सब्वेसु उववाएयव्वा जाव 'अणुत्तरोववाइय' त्ति, णवरं असंखेज्जावासाज्यअकम्मभूमगअंतरदीवगसव्वसिद्धवजं जाव अपराजियदेवेहिंतो वि उववज्जंति, णो सिद्धदेवेहिंतो उववज्र्ज्जति ।
८ प्रश्न - णरदेवा णं भंते ! कओहिंतो उववज्जंति ? किं शेरइए० पुच्छा ।
८ उत्तर - गोयमा ! गैरइए हिंतो वि उववज्जंति णो तिरि०, णो मणु देवेहिंतो वि उववनंति ।
,
९ प्रश्न - जड़ रहए हिंतो उववज्जंति किं रयणप्पभापुढविणेरइहिंतो उववज्जंति, जाव अमत्तमपुढविणेरइए हिंतो उववज्जंति ?
९ उत्तर - गोयमा ! रयणप्पभापुढविणेरइए हिंतो उववज्जंति, णो सक्कर • जाव णो आहेसत्तमपुढविणेरइए हिंतो उववजंति ।
१० प्रश्न - जड़ देवेहिंतो उववजंति किं भवणवा सिदे वे हिंतो उववज्जं ति, वाणमंतर० जोइसिय० वैमाणियदेवेहिंतो उववज्जंति ?
१० उत्तर - गोयमा ! भवणवासिदेवेहिंतो वि उववज्जंति, वाणमंतर० एवं सव्वदेवेसु उववा एयव्वा, वक्कंतीभेएणं जाव सव्वट्टसिद्धत्ति ।
११ प्रश्न - धम्मदेवा णं भंते! कओहिंतो उववजंति ? किं
रइएहिंतो ० ?
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