Book Title: Bhagvana Mahavira Diwakar Chitrakatha 009 010
Author(s): Purnachandramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan
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जब देव नहीं रुका तो कुमार वर्धमान ने कसकर उसके कंधे पर एक मुक्का मारा।
ओह ! मर गया !
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करुणानिधान भगवान महावीर
महावीर वर्धमान
की जय!
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दर्द से कराहता हुआ वह देव तुरन्त अपने असली रूप में आ गया और वर्धमान से क्षमा माँगी।
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तब तक बच्चे गाँव से कुछ लोगों को लेकर आ गये थे। जब लोगों ने दैत्य की जगह एक देव को चरणों में झुका देखा तो जय-जयकार करने लगे।
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यह बालक तो वीरों का वीर महावीर है।
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मैं आपके साहस की परीक्षा लेने आया था। आप सचमुच वीर ही नहीं, महावीर है।
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उस दिन से वर्धमान महावीर कहलाने लगे।
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