Book Title: Barah Bhavana Ek Anushilan Author(s): Hukamchand Bharilla Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur View full book textPage 4
________________ अल्प समय में ही इस कृति की 36 हजार 200 प्रतियों का समाप्त होना तथा 2 हजार की संख्या में सप्तम् संस्करण प्रकाशित होना पुस्तक की लोकप्रियता का ज्वलन्त प्रमाण है। ___ डॉ. भारिल्ल ने 'बारह भावना : एक अनुशीलन' के साथ-साथ अध्यात्म रस से सराबोर सुन्दरतम पद्यमय बारह भावनाएँ भी लिखी हैं, जो वीतरागविज्ञान के प्रथम पृष्ठ में तो नियमित प्रकाशित होती ही रही है, उन्हें इस पुस्तक में भी स्थान दिया गया है। इसके साथ ही पाठ करनेवालों की सुविधा की दृष्टि से उन्हें 'बारह भावना' नाम से पृथक् से प्रकाशित किया गया है। इस 'बारह भावना' नाम के अबतक पाँच संस्करण 35 हजार 600 की संख्या में प्रकाशित हो चुके हैं जो गौरव का विषय है। सामान्यार्थ के साथ प्रकाशित पद्यमय बारह भावना पर्वो एवं अच्छे-बुरे प्रसंगों पर वितरण के लिए अत्यन्त उपयोगी है। बारह भावनाएँ घर-घर गूंजे इसके लिए विशेष प्रयास कर मधुर स्वरों में वाद्य यंत्रों के साथ कैसिट भी तैयार की गई, जो अब तक 40 हजार की संख्या में जन-जन तक पहुंच चुकी हैं। यह तो सर्वविदित ही है कि कैसिट से लोग स्वयं अनेक कैसिटें टेप कर लेते हैं। इसप्रकार यह कैसिट अबतक कई गुना फैल चुकी है। शारीरिक अस्वस्थता के समय अपना उपयोग आत्मोन्मुख करने के लिए यह वैराग्योत्पादक कैसिट अत्यन्त उपयोगी है। यह पद्यमय 'बारह भावना' 36 हजार 200 इस अनुशीलन के साथ एवं 35 हजार 600 स्वतंत्र रूप से तथा वीतराग-विज्ञान एवं मराठी आत्मधर्म दोनों मिलाकर 6 हजार साथ ही जिनेन्द्र वन्दना' एवं 'बारह भावना' पाकेट बुक्स के रूप में भी 1 लाख 6 हजार की संख्या में सोलह संस्करणों में प्रकाशित हो चुकी हैं। इसीप्रकार यह बारह भावना : एक अनुशीलन' वीतराग-विज्ञान एवं मराठी, तमिल आत्मधर्मों में मिलाकर 13 हजार तथा 34 हजार 200 के ये सात संस्करण इसप्रकार कुल 2 लाख 31 हजार प्रकाशित हो चुकी हैं। प्रस्तुत प्रकाशन के मूल सृजनहार डॉ. हुकमचन्दजी भारिल्ल को हम जितना भी धन्यवाद दें, कम है, क्योंकि उनकी बहुमुखी प्रतिभा के द्वारा ही यह संस्था तथा श्री टोडरमल स्मारक भवन के छत के नीचे चलने वाली समस्त गतिविधियाँ चल रही हैं, इनमें मूलाधार वे ही हैं। उनकी लेखनी व वाणी में जादूPage Navigation
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