Book Title: Bandh Vihanam Tattha Pasatthi
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti
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२२]
मुणिवीरसेहरविजयविरइम- [गाथा १५७ तः
जसत्तिमग्गाजलपूअवीसो, सो माणदेवायरिओ गणेसो । सोहीम पज्जुण्णमुणिंदपट्टे, गंथो को जेणुवधाणवच्चो ॥१५७॥
(उवजाई) सिरिधम्मरिसी सूरी, आसी पणतीसमो जुगपहाणो । किरियाठाणसयेऽद्दे, वीरा जम्मोऽस्स मावणाहि १३२५ जुए।।१५८॥
(पच्छागीई) चत्ताम१३४० जुए स वयं, लहीअ अहिमम्मि लेसकट्ठाहिं १३६०॥ होसी जुगप्पहाणो, रयणसये१४०० देवलोगमिओ ॥१५९।।
(पच्छाज्जा) चीअ गोवगिरिमाणववासको जं, सज्जं जिअस्मि सइ ही विसमे वि वाए
माणदेवपयपम्हमलंकरी, कल्लाणसिद्धिविलिदुगुरू विहुव्व ॥१६॥
(वसंततिलगा) गग्गरिसिसूरिसीसो, पहावगो भासि सिद्धरिसिसूरी । उवमिइभवप्पपंच-क्खमहकहाईण जिम्मामा ॥१६१।।
(पच्छापुश्विगा मुहचवलाऽजा) गणाहिवो आसि विमलिंदुसूरिणो; पए स उन्जोअणमुणीसवाससो । उवस्समाणो मुणिसयेहि तीहि जो; वडक्खगच्छस्स हि अबीअभूसणो ॥१६२॥
(मंजुभासिणी) सोम्म सोम्मेण खमं, खमाज थिरयाम जयह मेरुगिरि । गंभीरत्तेणुअहि, सरीरलच्छीअ कामं जो ॥१६३।।
(पच्छाज्जा)

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