Book Title: Balak ke Jivvichar
Author(s): Prashamrativijay
Publisher: Pravachan Prakashan Puna

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Page 46
________________ boy.pm5 2nd proof स्वकायस्थिति नहीं है । प्राण पाँच इन्द्रिय, तीन बल, आयुष्य, श्वासोश्वास । योनि=४ लाख | १४. पाँचवी नारकी के जीव [ धूम प्रभा ] शरीर की ऊँचाई = १२५ धनुष आयुष्य = १७ सागरोपम । स्वकायस्थितिनही है । प्राण= पाँच इन्द्रिय, तीन बल, आयुष्य, श्वासोश्वास । योनि=४ लाख । १५. छठ्ठी नारकी के जीव [ तमः प्रभा ] शरीर की ऊँचाई - २५० धनुष । आयुष्य = २२ सागरोपम । स्वकायस्थितिनही है । प्राण= पाँच इन्द्रिय, तीन बल, आयुष्य, श्वासोश्वास । योनि-४ लाख । १६. सातवीं नारकी के जीव [ तमस्तमः प्रभा ] शरीर की ऊँचाई = ५०० धनुष । आयुष्य = ३३ सागरोपम । स्वकायस्थिति= नही है । प्राण= पाँच इन्द्रिय, तीन बल, आयुष्य, श्वासोश्वास । योनि=४ लाख । १७. गर्भज जलचर शरीर की ऊँचाई = १ हजार योजन। आयुष्य = क्रोड पूर्व वर्ष । स्वकायस्थिति-‍ - सात से आठ भव । प्राण= पाँच इन्द्रिय, तीन बल, आयुष्य, श्वासोश्वास । योनि-सभी तिर्यच पंचेन्द्रिय जीवों की मिलाकर चार लाख समझना । १८. गर्भज स्थलचर [ तीन भेद ] (१) चतुष्पद शरीर की ऊँचाई = ६ गाउ । आयुष्य तीन पल्योपम, स्वकायस्थिति-सात से आठ भव । प्राण= पाँच इन्द्रिय, तीन बल, आयुष्य, श्वासोश्वास । योनि = सभी तिर्यंच पंचेन्द्रिय जीवों की मिलाकर चार लाख समझना। (२) गर्भज भुजपरिसर्प शरीर की ऊँचाई दो से नव गाउ गाउ पृथक्त्व) । आयुष्य = क्रोड पूर्व वर्ष । स्वकायस्थिति सात से आठ भव । प्राण पाँच इन्द्रिय, तीन बल, आयुष्य, श्वासोश्वास । योनि-सभी तिर्यंच पंचेन्द्रिय जीवों की मिलाकर चार लाख समझना । (३) गर्भज उरः परिसर्प शरीर की ऊँचाई १ हजार योजन। आयुष्य क्रोड पूर्व वर्ष । = बालक के जीवविचार • ८५ स्वकायस्थिति-सात से आठ भव । प्राण- पाँच इन्द्रिय, तीन बल, आयुष्य, श्वासोश्वास । योनि-सभी तिर्यंच पंचेन्द्रिय जीवों की मिलाकर चार लाख समझना । १९. गर्भज खेचर शरीर की लम्बाई- दो से नव धनुष्य । आयुष्य = पल्योपम का असंख्यातवा भाग । स्वकायस्थिति सात से आठ भव । प्राण= पाँच इन्द्रिय, आयुष्य, श्वासोश्वास, तीन बल । २०. संमूर्छिम जलचर शरीर की ऊँचाई = १ हजार योजन। आयुष्य क्रोड पूर्व वर्ष । स्वकायस्थिति-सात से आठ भव । प्राण= पाँच इन्द्रिय, आयुष्य, श्वासोश्वास, कायबल, वचनबल, योनि= सभी तिर्यंच पंचेन्द्रिय जीवों की मिलाकर चार लाख । २१. संमूर्छिम स्थलचर [ तीन भेद ] (१) चतुष्पद शरीर की ऊँचाई दो से नव गाउ (गाउ पृथक्त्व) । आयुष्य = ८४ हजार वर्ष । स्वकायस्थिति सात-आठ भव । प्राण पाँच इन्द्रिय, आयुष्य, श्वासोश्वास, कायबल, वचनबल । योनि= सभी तिर्यंच पंचेन्द्रिय जीवों की मिलाकर चार लाख । (२) भुजपरिसर्प शरीर की ऊँचाई = दो से नव धनुष्य (धनुष्य पृथक्त्व) । आयुष्य४२,००० वर्ष । स्वकायस्थिति सात-आठ भव । प्राण पाँच इन्द्रिय, आयुष्य, श्वासोश्वास, कायबल, वचनबल योनि सभी तिर्यंच पंचेन्द्रिय जीवों की मिलाकर चार लाख । (३) उरः परिसर्प शरीर की ऊँचाई दो से नव योजन (योजन पृथक्त्व ) । आयुष्य = ५३ हजार वर्ष । स्वकायस्थिति- - सात-आठ भव । प्राण पाँच इन्द्रिय, आयुष्य, श्वासोश्वास, कायबल, वचनबल । योनि सभी तिर्यंच पंचेन्द्रिय जीवों की मिलाकर चार लाख । = ८६ • बालक के जीवविचार

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