Book Title: Astavakra Gita
Author(s): Raibahaddur Babu Jalimsinh
Publisher: Tejkumar Press

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Page 8
________________ श्रीपरमात्मने नमः । अष्टावक्र गीता भाषा - टीका सहित पहला प्रकरण । मूलम् । जनक उवाच । कथं ज्ञानमवाप्नोति कथं मुक्तिर्भविष्यति । वैराग्यं च कथं प्राप्तमेतद्ब्रूहि मम प्रभो ॥ १ ॥ पदच्छेदः । कथम्, ज्ञानम्, अवाप्नोति, कथम्, मुक्तिः, भविष्यति, वैराग्यम्, च, कथम्, प्राप्तम्, एतत् ब्रूहि, मम, प्रभो ॥ अन्वयः । शब्दार्थ | अन्वयः । प्रभो = हे स्वामिन् ! कथम् =कैसे + पुरुषः पुरुष ज्ञानम् = ज्ञान को अवाप्नोति = प्राप्त होता है + =और मुक्ति= मुक्ति कथम्=कैसे भविष्यति = होवेगी च=और वैराग्यम् = वैराग्य कथम् = कैसे प्राप्तम् =प्राप्त भविष्यति = होवेगा एतत् = इसको मम मेरे प्रति ब्रूहि = कहिए || शब्दार्थ | भावार्थ । राजा जनकजी अष्टावक्रजी से प्रथम तीन प्रश्नों को पूछते हैं

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