Book Title: Antagadanuttarovavaiyadasao
Author(s): M C Modi
Publisher: Gurjar Granth Ratna Karyalay

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Page 295
________________ 134 6. 21-22. बत्तीसं हिरण्णकोडीओ०; Just as in महब्बल 'sstory भगवती XI.11. See. अट्ठट्ठओ दाओ 3. 19. 7. 3. जहा [ जाव] विहरद्द - जहा उववाइए [ जाव] विहरइ See. ओव० $ 38 upto line. 16. 8. 14. See, this page line. 10. 16 जहागोयमो [जाव]... what he did in the second watch and the third etc. and how he approached महावीर etc. उवा०. $17. 23. अतुरियं [जाब] अडति See. उवा० $18. P. 18. अतुरियमच वलमसंभंते जुगंतरपरिलोयणाए दिट्ठीए पुरओ इरियं सोहमाणे, जेणेव वाणियगामे नयरे तेणेव उवागच्छइ; २ ता वाणियगामे नयरे उच्चनीयमज्झिमाइं कुलाई घरस-मुद्दणस्स भिक्खायरियाए अss | 93. [जा] हियया हट्टतुट्ठचित्तमाणंदिए पीइमणे परम सोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए । 9. 24 संसारभर विग्गा... मुंडा [ जाव ] पव्वइया |See ओव० $32; for मुंडा [जाव] see. 4. 4. (6 10. 18-19. लहुकरणप्पवरं० [जाव]... देवाणंदा etc. See. भगवती IX 33. leaf 457 (a) खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! लहुकरणजुत्त जोइयसमखुरवालिहाणसमलिहियसिंगेहि जंबूणयामयकलावजुत्त[ स्स ] परिविसिहिं रययामय घंटा सुत्तरज्जुयपवरकंचणनत्थपग्गहोग्गाहियएहिं नीलुप्पलकयामेलपर्हि पवरगोणजुवाणएहिं नाणामणिरयणधंटियाजालपरिगयं सुजायजुगजोत्तरज्जुयजुगपसत्थसुविरचितनिस्मियं पवरलक्खणोववेयं धम्मियं जाणप्पवरं जुत्तामेव उव

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