Book Title: Anekant Ras Lahari
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir

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Page 14
________________ बड़ेसे छोटा और छोटेसे बड़ा यह सुन कर विद्यार्थी कुछ भौंचक-सा रह गया ! तब अध्यापकने कहा-'अच्छा, तम इसे छोटा नहीं कर सकते तो क्या बिना छुए बड़ा कर सकते हो ? विद्यार्थीने कहा- हाँ, कर सकता हूं, और यह कह कर उसने दो-इचकी एक लाइन उस लाइनके बिल्कुल सीधमें उसके एक सिरेसे सटा कर बनादो और इस तरह उसे पांच इंचकी लाइन कर दिया । इस पर अध्यापक महोदय बोल उठे-- 'यह क्या किया ? हमारा अभिप्राय यह नहीं था कि तुम इसमें कुछ टुकड़ा जोड़कर इसे बड़ी बनाओ, हमारी मन्शा यह है कि इसमें कछ भी जोड़ा न जाय, लाइन अपने तीन-इचके स्वरूपमें ही स्थिर रहे-पांच-इची-जैसी न होने पावे-और विना छए ही बड़ी कर दी जाय ।' ___विद्यार्थी-यह कैसे हो सकता है ? ऐसा तो कोई जादूगर ही कर सकता है। अध्यापक-(दूसरे विद्यार्थियोंसे) अच्छा, तुम्हारेमेंसे कोई विद्यार्थी इस लाइनको हमारे अभिप्रायानुसार छोटा या बड़ा कर सकता है ? ___ सब विद्यार्थी-हमसे यह नहीं हो सकता । इसे तो कोई जादूगर या मंत्रवादी ही कर सकता है। अध्यापक-जब जादूगर या मंत्रवादी इसे बड़ा-छोटा कर सकता है और यह बड़ो-छोटी हो सकती है तब तुम क्यों नहीं कर सकते ? विद्यार्थी-हमें बड़ेसे छोटा और छोटेसे बड़ा करनेका वह जाद या मंत्र आता नहीं।

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