Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah

View full book text
Previous | Next

Page 62
________________ श्री अनन्तनाथचरि त्रादुद्धृतं पूजाष्टकम् ॥ ३० ॥ 1 | अनिलचलिरद्वयावलिकिंकिणिगणघणरणज्झणारावो । घग्घरयखलहलस्सरमिस्सो मुहरइ नहं जत्थ ॥ ४७ ॥ मणिजणियदेव उलियामंडलविष्फुरियकिरण निउरुंबो । रोहिणगिरिव रेहइ जणपुन्नागरिसिओल्ब जहिं ॥ ४८ ॥ केवलनाणालोओ जत्थ लंबंतमोत्तिओजोओ । फलिहम ऊहसमूहो भवविवेओ विव विहाई ॥ ४९ ॥ उज्झिरकप्पूरागरुपरिमलमांसलियसुमणसामोओ | वित्थरइ जत्थ दूरं धम्मियजणपुन्नपसरोब ॥ १०५० ॥ सेट्ठी तेहिं समेओ पविसंतो तम्मि नियइ अजियजिणं । जय जय जयत्ति भणइ य सीमंतयसंगिकरकोसो ॥ ५१ ॥ उवसंतकंतरूवं तेसिं तं दुसए अजियदेवं । बहिरंगअंतरंगारिवग्गनिग्गणपत्तजसं ।। ५२ ।। एसो समग्गसग्गापवग्गसुहसंगदायगो दूरं । ता एयं | पूएडं अप्पहियं कुणह इय भणइ ॥ ५३ ॥ तं सोउं ताइं मणप्फुरंतगुरुभत्तिभरधरंगाई । पसरियपरिओसवसुल्लसंतरो| मंचनिचियाई ॥ ५४ ॥ उल्लसियअमंदाणंदजायथोरंसुपूरियच्छीणि । परिकलयंताई सजम्मजीवियद्वाण सहलत्तं ॥ ५५ ॥ सुरहिघएणं काऊण दीवए ताइं दोन्नि वि मुयंति । जिणपुरओ पणमन्ति य पहुं महीमिलियभालाई ॥ ५६ ॥ कुलयं ॥ | तयणन्तरं पयाहिणपुरस्सरं नमिय रइयकरकोसो । सेट्ठि अजियजिणिदं भत्तिभरो थोउमारो ॥ ५७ ॥ “ जस्सानमंति | सिरिसोणमणिपहापयडभत्तिराय । अमरेसरा थुणिस्सामि तं पहुं अजियनाहमहं ॥ ५८ ॥ मणवयणनयणहत्था ते धन्नाणं सुहा अजिय तुज्झ । सुमरणथवणालोयणपूयणकज्जेसु जे सज्जा ॥ ५९ ॥ वइसाहसेयतेरसितिहीए तं चत्तविजयवासवि । पहु विजयोयरवासं अलंकरंतो कुणसि चोजं ॥ १०६० ॥ जायं तिजगुज्जोयं तं माहसियट्टमीनिसीहम्म । दहूण ससंको लज्जिओ तलमत्थमिओ ॥ ६१ ॥ चइय तए चललच्छि वयं कयं माहसेयनवमीए । इयरोवि अत्थिराए न रज्जए किं पुण तिनाणी || ६२ || पोसे सियाएकारसीए जेउं चलहुपहचंदं (?) । लोयालोयपयासं संजायमणंतनाणं ते ॥ ६३ ॥ चेत्तसियपंचमीए तं सिद्धिबहूए संगमल्लीणो । इयरंपि मोहिउमलं रमणी किं केवलविरायं दीपक पूजायां भुवनप्रदीपकथा ॥ ३० ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90