Book Title: Anangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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________________ - पग्णवणासुत्तं प० 23 उ. 2 546 एम णं गोयमा! सुहणामस्स कम्मस्स जाव चउद्दसविहे अणुभावे पण्णत्ते / दुहगामस्स णं भंते ! पुच्छा / गोयमा ! एवं चेव, णवरं अणिट्ठा सद्दा जाव हीणस्सरया, दीणस्सरया, अकंतस्सरया, जं वेएइ सेसं तं चेव जाव चउद्दसविहे अणुभावे पण्णत्ते // 607 // उच्चागोयस्स गं भंते ! कम्मस्स जीवेणं पुच्छा / गोयमा ! उच्चागोयस्स कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स जाव अट्ठविहे अणुभावे पण्णत्ते / तंजहा-जाइवि सिट्ठया 1, कुलवि सिट्ठया 2, बलविसिट्ठया 3, रूवविसिट्टया 4, तविसिट्ठया 5, सुयविसि. या 6, लाभविसिट्ठया 7, इस्सरियविसिट्ठया 8, जं वेएइ पोग्गलं वा पोग्गले वा पाग्गलपरिणाम वा वीससा वा पोग्गलाणं परिणाम तेसिं वा उदएणं जाव अट्ठविहे अणुभावे पण्णत्ते / णीयागोयस्स गं भंते ! पुच्छा / गोयमा! एवं चेव, णवरं जाइविहीणया जाव इस्सरियविहीणया, जं वेएइ पुस्गलं वा पोग्गले वा पोग्गलपरिणाम वा वीससा वा पोग्गलाणं परिणाम तेसिं वा उदएणं जाव अट्ठविहे अणुभावे पण्णत्ते // 608 // अंतराइयस्स णं भंते ! कम्मस्स जीवेणं पुच्छा / गोयमा! अंतराइयस्स णं कम्मस्स जीवणं बद्धस्स नाव पंचविहे अणुभावे पण्णत्ते / तंजहा-दाणंतराए लाभंतराए भोगंतराए उवभोगंतराए वीरियंतराए, जं वेएइ पोग्गलं वा जाव वीससा वा पोग्गलाणं परिणामं वा तेसि वा उदएणं अंतराइयं कम्मं वेएइ, एस णं गोयमा ! अंतराइए कम्मे, एस. णं गोयमा ! जाव पंचविहे अणुभावे पण्णत्ते // 609 // // पण्णवणाए भगवईए तेवीसइमस्स पयस्स पढमो उद्देसओ समत्तो।। बीओ उद्देसओ ___ कइ णं भंते ! कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ ! गोयमा ! अट्ठ कम्मपंगडीओ पण्णत्ताओ / तंजहा-णाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं / णाणावरणिजे णं भंते ! कम्मे कइविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते / तंजहा-आभिणियोहियणाणावरणिजे जाव केवलणाणावरणिजे // 610|| दंसणावरणिज्जे णं भंते ! कम्मे कइविहे पण्णत्ते ! गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते / तंजहा-णिद्दापंचए य दंसणचरक्कए य / णिद्दापंचए णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते 1 गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते / तंजहा-णिद्दा जाव थीणद्धी / दंसणचउक्कए णं पुच्छा। गोयमा! चउविहे पण्णत्ते / तंजहा-चक्खुदंसणावरणिजे जाव केवलदसणावरणिजे // 611 // वेयणिजे णं भंते ! कम्मे कइविहे पण्णत्ते ?

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