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आगमधरसूरि
सिंह गर्जना - परम-पवित्र शिखरजी तीर्थ की पवित्रता सुरक्षित रहे इस हेतु से एक विशाल सभा का आयोजन किया गया। पूज्य आगमाद्वारश्रीने इस सभा में बड़ी जोशीली भाषामें भाषण दिया जिसका मुख्य विषय था तीर्थ-रक्षा ।
"पुण्यशालियो ! आज हमारे लिए भारी संकट की स्थिति उत्पन्न हुई है । इस अवसर पर हमारे जैनस्वकी-हमारे चैतन्य की परीक्षा होगी भाप लेोग जानते होंगे कि राज्य-सत्ताने ऐसी नीति घोषित की है कि 'यूरोपियन लोग किसी भी धर्म में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।' महारानी विक्टोरियाने भी ऐसा ढिंढोरा पिटवाया है, फिर भी यह कूटनीतिज्ञ प्रजा श्री शिखरजी पर्वत पर आवास बांधने का इरादा रखती है । यह बात प्रसिद्ध हो चुकी है। 1. "अाज बिखरजी पर्वत की बारी है तो कल श्री सिद्धाचलजी पर्वत की बारी भाएगी। परसों और किसी पर्वत की। फलतः हमारे पवित्र तीर्थस्थान अपवित्रता में परिणत कर दिए जाएँगे, शांतिके स्थान पर अशांति फैलेगी। ___"भाज यदि हम लोग समता या शांतिके नाम पर सहन कर लेंगे तो कल ये लोग आप के हाथ में से पूजाकी कटारी भी छीन लेंगे। एक खतरा अनेक खतरों को जन्म देता है । हम लेग अभी से नहीं घेतेंगे तो बाद में चेतने का कोई अर्थ नहीं होगा। ___"यदि आपकी रगेम जैन धर्म की भावना का लहू बहता हो, यदि आपमें पुरुषत्व हो, यदि आप वीर के पुत्र है तो जागिये, ब्रिटिश से कह दीजिए 'तुम लोगोंने हमें कुचल डालने के लिए ऐसे