Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 22
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धम्मस्ससारमुवलब्भकरे पमायं ॥ १२ ॥ ३ (५१) सिद्धे भो पयओ णमो जिणमए नंदी सया संजमे देवं नाग सुवण्णकिन्नर गणस्सम्भूअ भावच्चिए लोगो जत्थ पइट्टिओ जगमिणं तेलुक्कमच्चासुरं धम्मो वड्डउ सासओ विजयओ धम्मुत्तरं वढ्ढ ॥ १३॥ 4 (५२) सुअस्स भगवओ करेमि काउस्सग्गं वंदण० अन्नत्य० ॥ २९ ॥ सूत्र. 4 (५३) सिद्धाणं बुद्धाणं पारगयाणं परंपरगयाणं लोअग्गमुवगयाणं णमो सया सव्वसिद्धाणं ॥ १४॥-1 (५४) जो देवाण वि देवो जं देवा पंजली णमंसंति तं देवदेवमहियं सिरसा वंदे महावीरं ॥ १५॥-2 (५५) इक्कोवि णमुक्कारो जिणवरवसहस्स वद्धमाणस्स संसार सागराओ तारेइ परं व णारिं वा ॥ १६ ॥ -3 (५६) उज्जितसेल सिहरे दिक्खा नाणं निसीहिआ जस्स तं धम्मचक्कवट्टीं अरिट्ठनेमिं नम॑सामि ॥१७॥-4 (५७) चत्तारि अट्ठदस दोय वंदिआ जिणवरा चउव्वीसं परमट्ट निट्ठिअट्ठा सिद्धा सिद्धिं मम दिसंतु ॥ १८ ॥ -5 [ इति सुयथवसिद्धथवगाहाओ ] ॥ ३० ॥ (५८) इच्छामि खमासमणो उवद्विओमि अब्भितरपक्खियं खामेउं इच्छं खामेमि अभितर पक्खियं पन्नरस्सण्हं दिवसाणं पत्ररसण्हं राईणं जंकिचि अपत्तियं परपत्तियं भत्ते पाणे विणए वेयावच्चे आलावे संलावे उच्चासणे समासणे अंतरभासाए उवरिभासाए जंकिंचि ॥ श्री आवश्यक सूत्रं ॥ ११ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33