Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 22
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org. ते नीला मणी तेसिं णं मणीणं इमे एयारूवे वण्णावासे पं०, से जहानामए भिंगेइ वा भिंगपत्तेइ वा सुएइ वा सुयपिच्छेइ वा चासेइ वा चासपिच्छेइ वा गीलीइ वा गीलीभेदेइ वा गीलीगुलियाइ वा सामाइ वा उच्चन्तेइ वा वणरातीइ वा हलधरवसणेइ वा मोरग्गीवाइ वा अयसिकुसुमेइ वा बाणकुसुमेइ वा अंजणके सियाकुसुमेइ वा नीलुष्पलेइ वा गीलासोगेइ वा णीलबंधुजीवेइ वा नीलकणवीरेइ वा, भवेयारूवे सिया?, णो इणट्टे समट्टे, ते णं णीला मणी एत्तो इद्वतराए चेव जाव वण्णेणं पं०, तत्थ णं जे ते लोहियगा मणी तेसिं णं मणीणं इमेयारूवे वण्णावासे पं०, से जहाणामए उरब्भरु हिरेइ वा ससरुहिरेइ वा नररुहिरेइ वा वराहरु हिरेइ वा महिसरुहिरेइ वा बालिंदगोवेइ वा बालदिवाकरेइ वा संझब्भरागेइ वा गुंजद्धरागेइ वा जासुअणकुसुमेइ वा किंसुयकुसुमेइ वा पालियायकुसुमेइ वा जाइहिंगुलएति वा सिलप्पवालेति वा पवालअंकुरेइ वा लोहियक्खमणीइ वा लक्खारसगेति वा किमिरागकंबलेति वा चीणपिट्ठरासीति वा रत्तुम्पलेइ वा रत्तासोगेति वा रत्तकणवीरेति वा रत्तबंधुजीवेति वा, भवे एयारूवे सिया ?, णो इणडे समट्ठे, ते णं लोहिया मणी इत्तो इट्ठतराए चेव जाव वण्णेणं पं०, तत्थ णं जे ते हालिद्दा मणी तेसिं णं मणीणं इमेयारूवे वण्णावासे पं०, से जहाणामए चंपेति वा चंपगछल्लीति वा चंपगभेएइ वा हलिद्दाइ वा हलिद्दाभेदेति वा हलिद्दगुलियाति वा हरियालियाति वा हरियालभेदेति वा हरियालगुलियाति वा चिउरेड वा चिउरंगरातेति वा वरकणगेइ वा वरकणगनिघसेइ वा सुवण्णसिप्यापति वा वरपुरिसवसणेति वा अल्लकीकुसुमेति वा चंपाकुसुमेइ वा कुहंडियाकुसुमेइ वा तडवडाकुसुमेइ वा घोसेडियाकुसुमेइ वा ॥ श्री राजप्रश्रीयोपांगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित ११ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121