Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 32
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobairth.org Acharya Shri Kallashsagarsuri Gyarmandie जाव गन्थव्वेण वा निग्गन्थाओ पावयणाओ चालित्तए वा खोभित्तए वा विपरिणामित्तए वा, तए णं अहं सक्कस्स देविन्दस्स देवरण्णो|| एयमढे असहमाणे० इहं हव्वमागए तं अहो णं देवाणुप्पिया! इड्डी० लद्धा० तं दिहाणं देवाणुप्पिया! इड्डी जाव अभिसमन्नागया, तं खामिणं देवाणुप्पिया! खमंतु मझ देवाणुप्पिया! खन्तुमरहन्ति णं देवाणुप्पिया! नाई भुजो करणयाएत्तिकट्ठ पायवडिए पञ्जलिउडे | एयभटुं भुजो भुजोखामेइ त्ता जामेव दिसं पाउब्भूए तामेव दिसंपडिगए, तए णं से कामदेवे समणोवासए निरुवसग्गमितिकट्ट पडिम पारेइ, तेणं कालेणं० समणे भगवं महावीरे जाव विहरइ।२३। तए णं से कामदेवे समणोवासए इमीसे कहाए लद्धढे समाणे एवं खलु समणे भगवं महावीर जाव विहरइ तं सेयं खलु मम समणं भगवं महावीर वन्दित्ता नभसित्ता तओ पडिणियत्तस्स पोसहं पारित्तएत्तिकट्ट एवं सम्पेहेइ त्ता सुद्धधप्पावेसाई वत्थाई जाव अप्पमहग्ध जाव मणुस्सवगुरापरिक्खित्ते ___सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइ त्ता चम्पं नगरि मझूमझेणं निग्गच्छइ त्ता जेणेव पुण्णभद्दे चेइए जहा सङ्खो जाव पज्जुवासइ, तणं णं समणे भगवं महावीरे कामदेवस्स समणोवासयस तीसे य जाव धम्मकहा सभत्ता। २४। कामदेवाइ! सभणे भगवं महावीरे कामदेवं सभणोवासयं एवं व०- से नूणं कामदेवा! तुमं पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि एगे देवे अन्तिए पाउब्भूए, तए णं से देवे एगं महं दिव्वं पिसायरुवं विउव्वइ त्ता आसुरूत्ते० एगं महं नीलुप्पल जाव असिं गहाय तुझं एवं क्यासी हंभो कामदेवा! जाव जीवियाओ) ववरोविजसि, तं तुझं तेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरसि, एवं वण्णगरहिया तिण्णिवि उवसग्गा तहेव पडिउच्चारेयव्वा उपासकदशांगं सूत्र। पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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