Book Title: Adhyatma Prakaran
Author(s): Hukammuni, Hirachand Vajechand
Publisher: Hirachand Vajechand

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Page 711
________________ श्रीचिंदानंदवत्रीशी. । २॥परमांपेसतसूखनहीपावत जेहथीबहुजंजाल ॥ श्रा पसंभालतदीसेवीरला मुनीहूकमकहेतेधार ॥चेतन० ३ संपूर्ण ॥ ॥ पद ७ रागवेलावल ॥क्यासुवेतुंजागबाव रा जमताक्थुकहावरे ॥ चेतनकहावतधरतउमेद तोसर द्वाशुद्धसोहावरे ॥क्या० १॥ पंचज्ञानखटद्रव्यकुजाणे गु णपर्यायेमनाणेरे ॥ स्यादवादद्रष्टिसुदेखत नयनिक्षेप प्रमाणेरे॥क्या०२॥ पक्षप्रमाणखटकारकउनमा एमत्र नेकनंगतुरंगरे॥मुनीहूकमकहेजेएजाणत सोहीसरहा सुरंगरे॥क्या०३॥ पद७ संपूर्ण ॥ .. ॥पद ८॥ रागविलास ॥ आजगतिसमोवसरणमां ॥राग॥ चेतनक्यातुंपरसनारे निजद्रव्यकंसनालो॥त्रां कणी॥ निजघरवहेसोसजातिजाणो अनंतगुणेतेनरीयो रे॥ स्यादवादद्रष्टितेजोतां संभुरमणतेदरीयोरें ॥ चेतन क्या० २॥ द्रव्यनावनिश्चेव्यवहारो एमअनेकभेदज्यां हुतरे ॥ मुनिहुकमकहजोएजाणत तेलहेपरमपदसंतरे॥ चेतन०३॥पदटसंपूर्ण॥ ॥ पद ए॥ रागनेरव ॥श्रा जतोबधाइ ॥ एचाल ॥ चेतनक्यातुंकरेपरप्राशा गेडीदे एहवीषासारे॥चे० ॥ परत्राशासें पुद्गलपेसत देखतलो कतमासा ॥निजधणीकानामनजाणत एहीबडाउदासा ॥ चे०१॥ विज़ातितुंक्यारेबिचारत एहीपुद्गलपासा ॥ निजस्वरुपरमताचेतनमां सेहेजेहोतखुलासा॥ चे०२॥

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