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अनुकम्पा री चौपई
२०३ २७. कोई गृहस्थ जंगल में भटक गया। वह उजड़ अटवी में चलता जा रहा है। यदि कोई साधु अनुकम्पा करके उसे मार्ग बताता है तो उसको चातुर्मासिक प्रायश्चित्त आता है। इस अनुकम्पा को सावध समझें।
२८. जंगल में भटकते हुए किसी को अत्यन्त दु:खी देख कर साधु उसे चार शरणा देते हैं। यदि वह मार्ग पूछता है तो साधु मौन रहते हैं। यदि वह बोलता है तो उसे विविध प्रकार से धर्म सुनाते हैं। यह अनुकम्पा जिनेश्वर देव की आज्ञा में है।