Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 05
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
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- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 5 पृ. 648]
- सूत्रकृतांग 13006 कमजोर और अज्ञानी साधक कष्ट आनेपर अपने सम्बन्धियों को वैसे ही याद करता है, जैसे झगड़कर घर से भागी हुई स्त्री चोरों से प्रताड़ित होने पर अपने घरवालों को याद करती है। 157. पुण्य-पाप क्या ? परोपकारः पुण्याय, पापाय परपीड़नम् ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 5 पृ. 697]
- पंचतंत्र 301 एवं 4101 उपकार जैसा कोई पुण्य नहीं है और दूसरों को पीड़ा पहुँचाने जैसा कोई पाप नहीं है। 158. वाचालता बनाम झूठ मोहरिते सच्चवयणस्स पलिमंथू ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 5 पृ. 725]
- स्थानांग 6/6/529 वाचालता सत्यवचन का विघात करती है। 159. निष्काम सव्वत्थ भगवता अणिताणता पसत्था ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 5 पृ. 725]
- स्थानांग 6/6/529 भगवान् ने सर्वत्र निष्कामता (अनिदानता) को श्रेष्ठ बताया है । 160. लोभ इच्छालोभिते मोत्तिमग्गस्स पलिमंथू ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 5 पृ. 725]
- स्थानांग 6/6/529 लोभ मूक्ति-मार्ग का बाधक है।
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-5.97