Book Title: Aatmshakti Ka Stroat Samayik
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 44
________________ के सरोवर में डूब जाता है । GRAND सामायिक जैन साधना का हार्द है, श्रेष्ठ आचरण है और ऐसा योग है जो मन-मस्तिष्क की विषमता को समता मेंसमत्व भाव में परिवर्तित कर देता है । इससे कषायों का उपशमन होता है, कष्ट सहिष्णुता सहनशीलता की क्षमता में वृद्धि होती है, सहजता आती है और दुःखों, अभावों, विपरीत विषम परिस्थितियों के प्रति ऐसी प्रतिरोधक शक्ति विकसित हो जाती हैं कि सामायिक साधक इन सबसे विचलित नहीं होता, अप्रभावित रहता है । सामायिक के तीन अर्थ शास्त्रों में सामायिक के विभिन्न अपेक्षाओं से कई प्रकार बताये गये हैं । शब्दार्थ की दृष्टि से इसके तीन भेद हैं । प्रथम भेद हैं (४२)

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