Book Title: Aarya Sthulbhadra
Author(s): Jain Education Board
Publisher: Jain Education Board

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Page 13
________________ आर्य स्थूलभद्र यह उसी की वंशजा तो है। बड़ा अद्भुत नृत्य करती है। आन वह सूचिका नृत्य का प्रथम प्रदर्शन करेगी। ठीक है, हर कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करता ही है। क्या तुम भी अपनी वीणा वादन कला का प्रदर्शन नहीं करोगे? | मित्र, कला प्रदर्शन की वस्तु नहीं केवल आनन्द की वस्तु है। मित्र, आज हम -सूचिका नृत्य देखने अवश्य चलेंगे। तैयार रहना। VAN NATANAMANAND रात्रि में स्थूलभद्र को साथ लिए चाणक्य कला भवन में प्रवेश करता है। दोनों ही आगे लगे विशिष्ट आसनों पर आकर बैठ गये। थोड़ी देर बाद कलाचार्य कुमार देव खड़े होकर कहते हैं महानुभावो ! अब रूपकोशा अपना सूचिका नृत्य प्रस्तुत करेंगी। यह सूचिका नृत्य बड़ा ही अद्भुत और अत्यन्त कठिन साधना है। भारतवर्ष की महान् नर्तकी आम्रपाली के सिवाय आज तक किसी ने इस नृत्य की साधना नहीं की। नृत्य के समय यदि थोड़ी-सी भी चूक हो जाये तो, पाँव से रक्त के फव्वारे छूट जायेंगे। एकाग्रता और शरीर सन्तुलन की श्रेष्ठतम साधना है यह। आप सब शान्त रहें।

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