Book Title: Aacharya Shri Tulsi Abhinandan Granth
Author(s): Tulsi Acharya, Dhaval Samaroh Samiti
Publisher: Acharya Tulsi Dhaval Samaroh Samiti

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Page 8
________________ १०] प्राचार्यश्री तुलसी अभिनन्दन प्रस्थ श्रद्धांजलियाँ प्रस्तुत की। अब धवल समारोह का व्यापक कार्यक्रम फाल्गुन कृष्णा१० से गंगाशहर (बीकानेर) में होने जा रहा है ।उपराष्ट्रपति डा. एस. राधाकृष्णन् अभिनन्दन ग्रन्थ भेंट करेंगे, ऐसा निश्चय हुअा है। प्राचार्यवर का अभिनन्दन सत्य और अहिंसा का अभिनन्दन है । प्रस्तुत प्राचार्यश्री तुलसो अभिनन्दन ग्रन्थ भारतवासियों की ही नहीं, विदेशी मनीषियों की भी आध्यात्मिक निष्ठा का परिचायक है । सभी ने प्राचार्यश्री का अभिनन्दन कर सचमुच अध्यात्मवाद को ही अभिनन्दित किया है। चूंकि धवल समारोह की परिकल्पना से लेकर परिसमापन तक मै इसकी अनवद्य प्रवृत्तियों में संलग्न रहा हूँ। मुझे यथासमय इसकी सर्वांगीण सम्पन्नता देख कर परम हर्ष है। दिल्ली में अनेको चातुर्मास व्यतीत किये और सघन कार्य व्यस्तता रही, पर ये दो चातुर्मास कार्य-व्यस्तता की दृष्टि से सर्वाधिक रहे। मेरे महयोगी मानजनों का श्रमसाध्य महयोग रहा है, वह निश्चित ही अतुल और अमाप्य है । मुनि महेन्द्रकुमारजी 'प्रथम' और 'द्वितीय' ही ग्रन्थ के वास्तविक सम्पादक हैं । इन्होंने इस दिशा में जो कार्यक्षमता व बौद्धिक दक्षता का परिचय दिया, वह मेरे लिए भी अप्रत्याशित था। समारोह के सम्बन्ध स मुनि मानमलजी को सफलताएं भी उल्लेखनीय रहीं। अन्य सार्वजनिक क्षेत्रों से जो सहयोग अजिन हुआ, वह तो समारोह के प्रत्येक अवयव में मूर्त है ही। 'रजत' शब्द भौतिक वैभव का द्योतक है, अतः 'धवल' शब्द इसका ही भावबोधक मानकर अपनाया गया है। रजत जयन्ती शब्द की अपेक्षा धवल जयन्ती या धवल समारोह शब्द अधिक सात्त्विक तथा साहित्यिक लगता है। मैं मानता हूं, इस दिशा में यह एक अभिनव परम्परा का श्रीगणेश हुमा है। १ जनवरी '६२ कठौतिया भवन, सब्जीमण्डी, दिल्ली। मुनि नगराज

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