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________________ तोड़ना सध्या नहीं है कारण पगलिया मन्दिरजी के पास ही है मन्दिर की पूजा कर दादाजी की पूजा कर सकते हैं फिर नाहक में मंदिरजी की भीत क्यों तुड़ाई जाय ? कई समझदार खरतरों ने तो इसबात को ठीक समझलीपर कई विघ्न संतोषी भी तो थे उन्होंने कदाग्रह के साथ हट पकड़ लिया कि हम मंदिरजी की भीत तोड़ कर दरवाजा निकाल देंगे। श्री संघ ने कहा कि बिना सकल संघ की आज्ञा दरवाजा कभी नहीं निकालाजायगा । बस इस हाँ-ना में बारह वर्ष व्यतीत होगये । भगवान् की मूर्तियों की आशातना होती ही रही और इस आशातना का फल श्री संघ और विशेष कर इस कार्य में बाधा डालने वालों को मिलता ही गया जो आज प्रत्यक्ष में सब की नजर में आ रहा है। गत वर्ष श्रीमान् समदड़ियाजी के बनाये हुये स्टेशन पर के जिन मन्दिर की प्रतिष्ठा होने वाली थी। इस मोके पर चन्द व्यक्तियों ने बिना श्री संघ की सम्मति, बिना कमेटी से चाबी लाये कोठरी के दरवाजे पर श्री संघ के लगाया हुआ तालाको तोड़ पगलिया निकाल लिया और बिना किसी को खबर दिए जहां स्टेशन के मन्दिर की मूर्तियाँ, पादुका, दंड, कलस का अभिषेक हो रहा था वहाँ लाकर वह झगड़ा वाला पगलिया रख दिया। पर वहाँ पहले से तीन पगलियों का अभिषेक होने के कारण किमी ने लक्ष नहीं दिया। जब प्रतिष्ठा के शुभ मुहूर्त पर मूर्तियाँ, पादुकाएं, दंड, कलश वगैरह सब यथास्थान स्थापित हो गये केवल खरतरों का ही पगलिया रह गया फिर भी उस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। पर नन्दीश्वरद्वीप के लिये बड़े मन्दिरजी से लाये हुए बिंबों को Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034563
Book TitleNagor Ke Vartaman Aur Khartaro Ka Anyaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktisagar
PublisherMuktisagar
Publication Year
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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