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________________ ( ७५ ) दादाजी - अच्छा, आप यह तो बतलावें कि गुरु नानकजी और गुरु गोविंदसिंहजी की मूर्ति को देखकर खुश होते हैं या नहीं ? सरदार - भला, गुरुओं की मूर्ति को देखकर कौन खुश नहीं हो सकता, क्योंकि गुरुओोंने धर्म की रक्षा के लिये अपने प्राणों की परवाह नहीं की। गुरु नानक साहिबजी और गुरु गोविन्दसिंहजी जिनको भविष्य पुराण में अवतारों में माना है, इनके चित्रों को देखकर कौन रुष्ट हो सकता ? हम लोग इनके चित्रों को देखकर बहुत खुश होते हैं और बहुत रुपये खर्चा करके इनके चित्रों को बनवा कर अपने मकानों में रखते हैं, एवं अपने मकान के दीवारों पर बनवाते हैं । दादाजी - अच्छा, सरदार साहब, आप लोग अपने गुरुक्षों की मूर्तियों के सामने शिर झुकाते हैं या नहीं ? और उनका सम्मान करते हैं या नहीं ? सरदार- हांजी, हम लोग गुरुओं की मूर्तियों के सामने शिर झुकाते हैं और उनका सम्मान भी करते हैं । दादाजी - क्योंजी सरदार साहिब, मूर्ति के सामने शिर झुकाना और उसका संमान करना मूर्ति-पूजा नहीं है ? बात तो दरअसल में सबकी एकसी है, मगर समझ में फेरफार है । कोई किसी रूप में मानता तो कोई किसी तरह मानता, परन्तु मूर्त्ति पूजा से अलग कोई भी व्यक्ति नहीं है । अच्छा, सरदारजी, एक बात आपको और भी बतलाते हैं, वह यह कि - आप लोग गुरु ग्रन्थ साहिब को अच्छे अच्छे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034562
Book TitleMurti Puja Tattva Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangadhar Mishra
PublisherFulchand Hajarimal Vijapurwale
Publication Year1947
Total Pages94
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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