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धर्मसेवा बजाववाने ए कमीटी चुकी नथी. हिंमतथी कही शकाय के पोताना उपर मुकवामां आवेला भरोसानो सदुपयोग तेणे कर्यो छे. जो कंई तेणे विशेष अथवा वधारे सारं कयु होय तो तेनो तोल करवानुं काम श्री संघनी मुनसफीपर छे.
मारे अत्रे जणावयु जरुरनुं थई पडे छ के, जैन कॉन्फरन्स पूरेपूरी फतेहमंद उतरी तेनुं उंडे कारण कंईक हो, जोईए. ज्यारे कार्य थवानुं होय छे त्यारे तेना आसपासना संजोगो पण तेवा आवी मळे छे. जे सबकमीटीओ नीमाई हती तेमां ऑफीसबेरर्स अने मेंबरो होशीला नीमाया हता. तेओनुं जीगर धर्मथी द्रवीत थएवं हतुं, तेओनुं रोमरोम जाणे 'जय जय' बोलतुं होय एवं लागतुं हतुं. ( सौमां विशेष अमारी कमीटी तो बहुज होशीली हती, बलके एटलं कही शकाशे के ए कमीटीना तमाम मेंबरोनो उत्साह, मदद, युवानीजोश बहुज हतो.) जेवा जुवान मेंबरो हता तेवाज जुवान अने होशीला अमारा प्रमुख पण हता. तेओ होशथी दरेक मीटींगमां हाजर थई सारो भाग लेता हता. . मने अत्रे जणाव्या वगर चालतुं नथी के, मने मदद करवाने जे जे एसीस्टंट सेक्रेटरीमओ अने ऑफीस बेररो वखतोवखत मुकरर करवामां आव्या हता, तेओनी अने दरेक बाबतनी मंजुरी मळवामां अमारी कमीटीनी वखतसर अने संयुक्त मदद नहीं मळी होत, तो कशं करी शकात नहीं. कॉमन कॉझ-एकज आशय-माटे सर्वे महेनत करनारा हता अने कामनी धमाधमीमां कोईवार सख्ताईथी बोलवानो प्रसंग पण आव्यो हतो, तेने माटे हुं मारा तमाम मित्रोनी माफी चाहुं छं, तेओए कोईपण बाबत न गणतां पोताना कार्य तरफज लक्ष आप्यु हतुं. 'पोतानुं कर्तव्य पोतानो धर्म हतो' एज पाठ तेओ मात्र शीखेला हता. ___मात्र फरी एकवार ध्यान खेचुछ के, डेलीगेटोनुं लीस्ट वनाववानी पद्धतिमा सुधारो थवो जोईए, अथवा डेलीगेटोनी नीमणुक थईने पत्रो आव्या के तेज वखते टीकीटो अत्रेथी मोकली देवी जोईए, के डेलीगेटो जेओ मात्र सभाने दिवसे अथवा एकाद दिवस वहेला आवे छे, तेओनी धमालमां गरबड थवानो संभव न रहे अने कामनो हद उपरांतनो बोजो आवी पडे छे से आवी पडे नहीं. 'पुरवणी २' ना रीपोर्ट उपर खास ध्यान खेंचवानी फरीथी हुँ जरुर जोउँछु.
वॉलंटियरना काम बाबत फरीथी जणाववानी मने जरुर जणायछे. खानदान, धनाढ्य, अने गृहस्थोना पुत्रो-आपणा वीररत्नो, जेओमांना घणा पोताने घेर मोजमजामा रहेला, गाडीघोडामां फरता, वखतसर जमता, किंमती पोषाको पेहरता, तेओज आ कॉन्फरन्स वखते, कोचमेनजी पासे बेसता, गाडी पाछळ उभा रहेता, डेलीगेटोनां पोटका उंचकी गाडीमां नांखता, अने माळे चढावता, गाडी लेवाने दोडता, अने चाह अने खावाना पण फाका पाडता, अदना आदमीनी पण बूम सांभळी " जी जी " कहीने दोडता, रातना बबे वाग्या सुधी काम करता, माथे किंमती पोषाकने बदले जे धर्मचिन्हना फेंटा तेमने आपवामां आव्या हता, तेने पोलानी मोतीनी टोपीओ करतां पण वधु वहाला गणता, एवी एवी अनेक सेवाओ बजावता जोई कोईपण धर्मानुरागीने सहेज पोतानी स्थितिनो ख्याल झट आवी जाय, के धन्य छे एओनी होशने ! धर्मर्नु झरण ए तमाम वॉलंटियरोमां एवं भारी हतुं के जे झरणो एकठां थई एवो मोटो चोमासानी नदीरुप जुस्सो मुंबईमां आवेलो जाहेर थतो हतो, के तेनुं वर्णन करवू कठण थई
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