SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 287
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१६२) शा. दामोदर बापुशा एवलावाळानुं भाषण. " प्रेडिन्ट साहेब, सद्गृहस्थो अने मुशील बहेनो, हानिकारक रिवाजो आ विषय पर घणा विद्वान् वक्ताओ बोली गया छे, अने ते बाबतपर वधारे बोलवा जे हवे काई रह्यं नथी, तोपण ते विषे बे शब्द बोलवा आपनी पासे रजा लडं . वहाला माणसना मरणथी तेना संबंधीओने दुःख उत्पन्न थाय, ए मनुष्य स्वभावने अनुसरतीज वात छे, परंतु प्रत्येक वातने नियमितपणुं छे, अने ते नियमना उपरांत थवाथी वणा गेरफायदा थाय छे. मरण पाछळ रडवाकुटवाना हानिकारक रिवाजोनो गुजरात काठीआवाड अने मारवाड आ देशोमां, भरतखंडना बीजा देशो करतां घणो वधारो थवाथी घणुं नुकसान थ! छे. __आ हानिकारक रिवाजधी आ लोकमां निंदा थाय छे, अने परलोकमां दुःख भोगवबुं पडे छे. एक विद्वान् ग्रंथकारे शोक बदल एवं कर्तुं छे के: ओमिति पंडिताः कुर्युरश्रुपातं च मध्यमानः । अधमाश्च शीरोधातः शोकधर्मविवेकिनः ॥ पंडित पुरुषो शोकमां एम समजे छे, के जे थवानुं छे ते थाय छे, माटे चिंता करवानी शी जरुर? मध्यम पुरुषो अश्रुपात करे छे अने अधम पुरुषो माथु कुटे छे, पण विवेकी पुरुषो तो शोकमां धर्मज करे छे. सद्गृहस्थो, आखा हिंदुस्तानमां तेमज बीजा कोईपण देशमां गुजरातनी स्त्रीओ जे अमर्याद रीते कुटे छे, अने रडे छे, तेवो रडवानो अने कुटवानो चाल आज पर्यंत क्याई पण जोवामां तेमज सांभळवामां आव्यो नथी. जो कोईपण चालने माटे आपणा गुजरातवासी बंधुओने शरमावानुं होय, अने बीजी सुधरेली कोमने आपणा रिवाजोनो धिक्कार होय, तो ते प्रथम मरण पाछळ रडवाकुटवाना नफट रिवाजनोज छ; अने कदाच कोई एम प्रश्न करे के लांबा वखतथी जड मूळ चालीने पायमाल करनारो कोईपण रिवाज हजी सुधी गुर्जरप्रजाने दुःखदायक हशे, तो ते रिवाज मरण पाछळ रडवाकुटवानोज छे. गुजरात तथा काठीआवाडनी स्त्रीओ हमेश बहार जवा वखते बहु शरम राखे छे, परंतु रडवाकुटवानी वखते शरम मर्यादा बधी बाजु मुकी दई, उघाडी छातीए लज्जारहित थई ताल सुरमा राजवण गाई कुटे छे. हालना जमानामां घणाएक भाषामां फेरफार थई साहित्यशास्त्रनी मददथी संगीतकळा वधी छे. बीजी भाषामां गावू संगीत कर्यु छे तो, अमारी गुजराती भाषामां रोवु संगीत कर्य छे. केवी शरमनी वात छे ! ए रडती वखते कुटवानो पण ताल बराबर पडवो जोईए. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy