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________________ (१४२) मि. अमरचंद पी. परमारनुं भाषण. गायन गवाई रह्या बाद मी. अमरचंद पी. परमारे हानिकारक रीतरिवाजो दूर करवा तथा भ्रातृ भाव वधारवा बाबत, नीचली दरखास्त रजु करी हती: आधुनिक प्रचलित रिवाजो पैकीः१. मरण पाछळ रड, कुटवू, २. मरण पाछळ जमणवार, ३. बीजां खोटां फरज्यात खर्ची, ४. कन्याविक्रय, ५. अन्य शास्त्र प्रमाणे व्यवहारिक क्रियाओ आदरवी, ६. बाळलग्न अने वृद्धविवाह. ७. तथा आपणी कोमने अवनतीने रस्ते लई जनारा तेवा बीजा हानिकारक रीतरिवाजो जे जे देशोमां चालता होय, त्यां त्यां तेमने बनता प्रयासे सत्वर बंध करवा, तथा आपणा स्वधर्मी बंधुओमां वारंवार थतो कुसंप अटकावीने, ऐक्य तथा विशेष भ्रातृभाव थाय तेवा संगिन उपायो योजवाने माटे, आ कॉन्फरन्स दरेक जैनबंधुनुं आ प्रसंगे विशेष ध्यान खेंचेछे. मी. अमरचंद पी. परमारे उपली दरखास्त छटादार हिंदुस्तानी भाषामां रजु करतां जणाव्युं केः 'जैनबंधुओ! आप जेवा सुज्ञ गृहस्थो आगळ मारा जेवो बाळक कंई कहे, ए मात्र एक मदोन्मत्त हाथीने सुतरना तांतणाथी बांधवा जेतुं छे. ___ एक जमानो एवो हतो के, ज्यारे आपणा पवित्र जैनधर्मना सिद्धांतोने अक्षरेअक्षर. मान अपाई ते मुजब वातुं हतुं, एक जमानो एवो हतो के, आपणा विद्वान् आचार्यों अने गुरुओंना बोलोने अमृत मानी आपणे वधावी लेता हता, एक जमानो एवो हतो के, श्री तीर्थकरोना वाक्य सिवाय सर्व मिथ्या मानवामां आवतुं हतुं, एक जमानो एवो हतो के ज्यारे एकज रीति, एकज रिवाज, अने धर्मनी आज्ञा प्रमाणेज ते रीति अने रिवाज बंधाई तेनुं वर्तन थतुं हतुं, अने एक जमानो एवो हतो के, प्रमाणिक, धार्मिक निष्टाथी वर्ती सर्वत्र भ्रातृभाव फेलाई दयामय सृष्टिज नजर आवती हती, त्यारे आजे जमानो एवो आव्यो छे के आपणे विद्याने अभावे, आपणा अनादि धर्मना उंडा सिद्धांतोने उंचा मुकी, अन्यदर्शनीयोनी सोबतमां मिथ्यात्वी बनी तेओना रीतरिवाजो प्रमाणे चालवा लाग्या छीए. आजे जमानो एवो आव्यो छे के, आपणा गुरुओनी आज्ञा मानवाने बदले आपणी आज्ञा तेओ पासे मनावीए छीए. आजे जमानो एवो आव्यो छे के, अश्रद्धारुपी अधंकारथी तीर्थकरोनी आज्ञानो अभाव थतो चाल्यो छे. आजे जमानो एवो आव्यो छे के, ज्यां जोईए त्यां जुदी जुदी रीति तथा जुदा जुदा रिवाजो जोवामां आवे छे, अने कया धर्मने आधारे ते लई बेठा छे, तेनुं पण भान भूली बेठा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
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