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________________ (९.) शेठ अमरचंद घेलामाईनु भाषण. आपणी कोमना निराश्रित एटले के लाचार अवस्थामां आवी पहेला जैनोने मदद करवानी केटली जरूर छे ते काई अजाण्यु नथी. तीर्थकरे जे क्षेत्रो जरूरनां जणावेलां छे, तेमां श्रावकश्रावीकाओनो पण समावेश थई जाय छे. संघो, स्वामीवात्सल्यो वगेरेन माटे आपणा जैनभाईओ छूटथी खर्च करे छे. बाहार पण एम बोलाय छे के जैनोमां लाडवा तरफ ध्यान वघारे आपवामां आवे छे; ज्यारे एक गृहस्थ नोकारसी जमाडवा पाछळ आजेज हजारो रुपियानो धूमाडो करे छे, पण बीजे दिवसे तेनी पासे कोई गरीब जैन मदद मागवा जशे त्यारे ते पछात रहेतो जणाय छे. संघो अने स्वामीवात्सल्यो जमाडवामां पुन्य छे खरूं, परंतु तेना करतां आपणा लाचार स्वधर्मीबंधुओने मदद आपवाथी वधारे पुन्य उपार्जन थाय छे. छेला दुकाळने लीधे जैन भाईओने केटलुं सहन कर पडयुं छे, ते कोईकथीज अजाण्यु हश. जेनशास्त्रोमां दान, शील, तप अने भाव, ए चार गुणो अग्रेसर गणवामां आव्या छे; तेमां पण अनुकंपादान सर्वथी मोटुं गणाय छे. ते दाननो लाभ आपणा स्वधर्मीभाईओने पण मळवो जोईए. अन्य धर्मना भीखारीओने आपणे मदद आपीए छीए तेथी जे पुन्य उपार्जन थाय छे, तेना करतां गरीब स्वधर्मी बंधुओने मदद आपवाथी वधारे पुन्य उपार्जन करी शकाय छे; ते माटे जुदा जुदा भागोमां गरीबोने मदद आपनारां खातांओ स्थापवां जोईए, अने तेमांथी सारी रीते मदद अपाववानी गोठवण करवी जोईए. ते खातांओने पोतानो खर्च चलावतां चोकस बचाव करनारा गृहस्थोए उदारताथी मदद करवी जोईए. ते मदद करवामां पण केवी जातनी मदद करवी, ए सवाल उपर खास ध्यान आपवानी जरूर छे. जो आपणी कोमना लाचार बंधुओने हमेशां अनाज वगेरे जींदगीनी हाजतो पूरी पाडया करीए, तो तेथी काई आपणे खरी मदद आपी एम कही शकाशेज नहि. आपणा निरुद्यमी बंधुओने केवी रीते कमाई खाता करवा, ए सवालज खास अगत्यनो छे अने ते उपर आपणे गंभीर ध्यान आपवान छ. लोकोने उद्योगे लगाडवानी जरूर. ए उपरांत जेओ मेहेनतुं अने काम करवाने राजी होय तेमने उद्यमे लगाडवा जोईए, तथा अनाथ विधवाओने भरवा, सीववा वगेरेना सारा उद्यमो शीखवीने, तेमने पोतानुं भरणपोपण करवानी स्थितिमां मेलवां जोईए. दुकाळना वखतमां आपणा गरीब बंधुओमां वणी विपत्ति अने संकट फेलायुं हतुं, अने तेमना प्रत्ये आपणे जेटली मदद करवी जोईए, तेटली थई हती नहि. पण मने कहेतां खुशी उपजे छे के, मुंबईए घणी सारी मदद करी हती. पण ते सघळु " आग लाग्या पछी कुवो खोदवा" जेवू हाँ; जेथी जो पेहलांथीज आपणे तेनुं फंड उभं करी एक खातुं राख्यु होय, तो पोताना गरीब बंधुओने मदद आपवाने बने. मारा बंधुओमां घणा एवा हशे, के जेओ गरीब होवा छतां तेमनामां पान खावानी, तंबाकु पीवानी के वीजी टेव हशे. एवी टेवोमांथी एकज टेव छोडी तेना पैसा जो फंडमां तमो आपो, तो तमारा बंधुओ, तमो घणुं भलं करी शकशो. (ताळीओ) ए उपरांत तवंगर लोकोनी पण ए फंडमां नाणां आपवानी फरज छे. लक्ष्मी बहु चपळ छे अने कोई ठेकाणे स्थिर रहती नधी, माटे तेवाओए तो बनी शके तम जलदीथी पोतानां नाणांनो सदुपयोग करवो. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
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