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________________ (१३) निमाणी बुद्धमल केवळचंद नाशिकना स्पोशियल मेजिस्लेटर्नु __मारवाडी भाषामां भाषण. सिरदारहो, साम्पिभाईहो, सज्जन साहेबां, आपणा लोकांरी दर्सणने दुर्लभ ओर इसी मोटी परखदा देखने इसो कुण अभागी हे के जिणने खुशी नहीं हुवेला ? अलबत् हरएक सिरदारने घणी खुशी हुवेला इणमें बिलकुल संका नहीं. “शिक्षण" जिणने गुजराथी भाषामांय " केळवणी" केवे हे, तिण ऊपर दोय आखर आपने बिंबरासुं केणारी मन्नमें हे. ' हमो बहीखातो रुजनांवो लिख लेबां हां, सराफी चिठी बांच लेवां हां, जीवांरी रक्षा और जीवांरा अवगाहना आदिप्रकारसुं हमारा लोक जित्रा वाकबगार हे उत्रा वाकबगार पंडत दुनियामें बिरळाज हुसी; रुजगारबोपारने अच्छीतरे जाणां हां: ' इस्त्रे हुयने आप शिक्षणऊपर जादा काई केवोला इसो बेम आपरे घणाजिणारे दिलमें, आयो हुसी; पिण शिक्षणरा बारांमांय आपणाऊपर दूजी त-हेकी जोखम कित्री भारी हे उणबदले अपां हाल बिचार को नहीं; उणउपरीज दोय आखर केणारी म्हे रजा लेबुं हुं. सिरदारहो, जिस्त्रे अपां बीज बांवाला उशीत-हे अपांने आगे फळ मिळसी. आपणामांयला हरएक सखस ( व्यक्ति ) आच्छो निकळे इशी निगेदास्ती आपणाने राखणी चाइजे. थोडामें केणो हवे तो मिनख इण लब्जरो ऊंचो, उमदा ओर उत्तम अर्थ ध्यानमें लेने अस्सल राष्ट्रीय (national) स्वरुपरो पायो घालणारी हिम्मत रखणामांय अबारसुं उदम करणारी निहायत जरुरी हे. अपां हमेशा रोज सुणता आयां हां के हिंदुस्थानदेश आगे जावतां बहोत दीपसी.. खरोखर आपणो हिंदुस्थान देस हजारो बरसां पेली उत्तम कळासुं ओर श्रेष्ठ शास्त्रीय विद्यासुं चळचळाट करतो दीपतो हुतो ! पीछे करमजोगसुं ओछी दशा आई. घणाराजा इण देस ऊपर राज कीनो. हरएक राजा लायक नहीं जाणने आखर इंग्रज सरकारको राज कोई पुन्याईसु आपणाऊपर हुवो है ! इण संबंधसु खरोखर आपणो घणो कल्याण हे. साच पूछो तो हिंदुस्थानदेश भविष्य कालमांय ऊंची दशाने पोंचशी इणमें फरक नहीं. ओर आप जो मने पूछोलाके आपणा देसरी के आपणा ओसवाळांरी के आपणा सरब सामिभायांरी आगे हुवणहार ऊंची दशारा मालक कुण है, तो ह्ये जबाब देऊला के 'आपणा बाळक-अबार पोसाळमें भिणीज रह्या हे तिके बिद्यार्थी--आपणा बेटाबेटी, आपणा टाबरटुबर. वेईज भविष्यकालरा खरा ट्रस्टी हे ! अबाररे पिढीरा बिद्यार्थी आगली आवती पिढीरा. सिरदार-मालक-गाढा मारूजी हे.' इणवास्ते तुमो तुमारे न्यातरो आगे मोटापणो अगर बडापणो चावोला तो आगली आवती पिढीरा सिरदारांका हिरदामांय ह्ये बतावूला वे कल्पना,. वे तत्त्व, ओर वे गुण उतरसी इण रीतका शिक्षणरी अपेक्षा हे. ____ तो पछे, आपणा न्यातरी उन्नति जिणारे हाथमें हे वारे हिरदामें किशी कल्पना ( idea ) पेला रोपणी चाइजे? वा कल्पना ( idea ) आ हे के थारा शिक्षण-थारो भिणीजणोफगत थारो पेट भरणवास्ते अगर थांरा परवाररा सुखरे वास्ते सिरफ नहीं है. पिण शिक्षणरो-भिणीजणारो-हेतु घणो ऊंचो, घणो शिरे, ओर घणो सुद्ध है. तिण शिक्षणरो उद्देस Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
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