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________________ ( ५० ) मोजशोख अथवा बीजी उंच वृत्तिओ एमांथी जेनुं प्राबल्य विशेष होय तेनाऊपर रहे छे, अने तेथी ए तो निर्विवाद रीते कही शकाय के केळवणीनी सामान्य असर लाभकारी छे; कारण के जेना वडे उंच वृत्तिओ प्रफुल्लित थाय छे तेज शक्ति हलकी वृत्तिओने दाबी देवा समर्थ होय ते पण स्वाभाविक छे. फक्त बुद्धि वधावानां उत्पन्न करवाथी नीतिनो चधारो थशे के नहि ते शकमंद छे, तेथी खरी उन्नति माटे दरेक माणसना मनमां कोमनी तरफनी पोतानी फरज, नीति अने धर्मज्ञान ए प्राथमिक शीक्षणथीज दाखल थवां जरूरनां छे. धर्मनी केळवणी विना माणसो कळा अने साहित्यमां प्रवण होय तो तेओना विचारो साधारण रीते दुषित होय छे; तेओनी मानसिक जींदगीमां पोतनुंज भलुं करवानी अने द्रव्य संपादन करवानी वृत्तिओ प्रबल रहे छे, मोजशोखनो तेमनो उद्देश कायम होय छे; ऊपर कहेलुं परिणाम हालमां केटलीक प्रजाओमां जोत्रामां आवे छे तेवीज रीतनुं परिणाम तेवी केळवणीथी आपणी कोममां उत्पन्न करवुं होय, तो आजे आ विषय चर्चाविवानी मेहनत अफल थयेली गणाशे. एटला माटे, अमे फरीथी कहीशुं के माणस जातनी अंदर गुप्तरीते रहेली उंच मानसिक शक्तिओने खीलवी ते वृत्तिओ आखी कोमना बलके माणस जातना भलाने माटे उपयोगमां आवे तेवुं परिणाम लाववुं होय, तो सामान्य केळवणी अने धार्मिक केळवणी ए बन्ने साथेज फेलाववा प्रयत्न करवा जरूरना छे. माणसनी कुदरती शकितमनुं अवलोकन आ विचारने पुष्टि आपे छे. माणस जातना कुदरती बंधारण उपर नजर करीए छीए तो जणाय छे, के तेनी जींदगीने माटे वणी चीजोनी अगत्य छे के जे इच्छा थवानी साथै प्राप्त थती नथी, अने तेथी ते मेळववाने ते इच्छा उत्पन्न थतांज प्रयत्न जारी करवा पडे छे. माणस जातथी नीचां प्राणीओ भूख अथवा बीजी हाजतोथी दोराई पोताने जोईता पदार्थों मेळववा प्रयत्न करे छे अने तेम तेओ कुदरती प्रेरणा मुजबज वर्ते छे अने ते बुद्धि हद बहार केळवी शकाती नथी. बीजी तरफथी माणसने दरेक चीज माटे प्रयास करवो पडे छे अने ते प्रयत्नमांज तेनी बुद्धि धीमे धीमे खीलती जाय छे. बळी तेने वाचा अने विचारशकित होवाने लीधे एक इच्छा फळीभूत थया पछी तेने बीजी तेत्रा प्रकारनी मोटी इच्छा उत्पन्न थाय छे अने तेथी तेनी मानसिक शक्ति दरेक पळे सुधरती जाय छे. थोडे प्रयासे इच्छा पुरी पाडवा माटे तेने ज्ञाननी जरूर पडे छे अने दरेक फतेहनी साथै तेना अंतःकरण उपर आनंदनी छाप पडती जाय छे. आगळ जतां ते अंतःकरण तेने बीजी उंच वृत्तिओ जेवीके सत्य, न्याय, अने सामाजिक मैत्री तरफ दोरी जाय छे अने छेवटे परोपकारबुद्धि प्राप्त थई तेने पुरुषार्थना छेडा सुधी लई जवा पामे छे अने छेवटे मनुष्य प्राणी पोताना निर्मळ आत्माने ओळख पोताना जन्मने कृतार्थ करे छे. खरुं जोईए तो नानपणथीज प्राप्त थएला संस्कारो आ मानसिक केळवणीने लीधे तेने प्रजा वर्गमां एक उपयोगी अने दाखलारुप प्राणी बनावे छे. आ संस्कारो एक रीते तेने पोताना पूर्वजो तरफथी वारसा मां मळेछे. पाछलो जमानो पोतानी कारकीर्दनी छाप आगला जमाना माटे मुकी जायछे, एटले बचपणथीज दरेक मनुष्य पोताथी आगळ थई गएला मनुष्योना अनुभवनुं अवलोकन करतो जाय छे. पोताना जन्मकाळ धीमा प्रजाए जे डहापण. चातुर्य विगेरे मेळवेल होय तेना फायदा आ नवो प्राणी छे. पोतानां बचपणनां कपडां अने रमकडां अने घरना बीजा पदार्थो, कुटुंबनां माणसोनी चालचलण, तेनी केळवणी, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
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