SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 193
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ , विष्णुपुराण अश ५ अध्याय १० के २० वे पत्रश्रीकृष्णने ब्रजवासीओंको गोवर्धन पर्वतका यज्ञ पूजन कर नेका उपदेश किया है" तस्मागोवर्धनः शैलो, भवद्भिर्विविधाहणैः । अर्ग्यतां पूज्यतां मेध्यं, पशुं हत्वा विधानतः ॥ ३८ ॥" भावार्थ-इस लिये विविध प्रकारकी सामग्रीसे गोवर्द्धन पर्वतका अर्चन करो और पशुको मार कर उस पर्वतकी पूजा करो ॥ ३८ ॥ " तथा च कृतवन्तस्ते, गिरियनं व्रजौकसः । दधिपायसमांसाद्यैः, ददुः शैवबलिं ततः ॥ ४४ ॥ द्विजाँश्च भोजयामासुः, शतशोऽथ सहस्रशः।" भावार्थ-कृष्णजीके उपदेशको मान कर ब्रजवासीओंने दहि दुध मांस आदि पदार्थोंसे शैल-पर्वतको बली दी ॥४४॥ और सैंकडों हज़ारों ब्राह्मणोंको भोजन कराया । इस उपरके श्लोकोंसे सिद्ध हो गया कि, दुध दही तथा पशुको मार कर उसके मांससे गोवर्धन पर्वतका पूजन करनेका उपदेश देनेवाले कृष्णजीमें दयाका अभाव था, अन्यथा ऐसा उपदेश कभी नहीं देते और जिन सैंकडो. हजारों ब्राह्मणोंने वहां पर भोजन जिमा उनको भी महाकठोर हृदयवाला कहना चाहिये. उन कठोर हृदयोंसे प्रगट हुए शास्त्र दया भावका पोषण करे यह सर्वथा ही असंभाव्य है. . . विष्णुपुराण पांचवे अंशके २३ वे अध्यायमें महादेवजीका कृष्णजीकी साथ युद्ध हुआ जिसमें महादेवजी हार Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034555
Book TitleMat Mimansa Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykamalsuri, Labdhivijay
PublisherMahavir Jain Sabha
Publication Year1921
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy