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________________ मारवाड़ का इतिहास लिये जोधपुर आए। इसके बाद वि० सं० १९४१ की फागुन बदि २ (ई० स० १८८५ की १ फरवरी) को स्वयं महाराज भी उदयपुर जाकर महाराना फतेसिंहजी से मिले । इस प्रकार दोनों राजघरानों के बीच का पुराना मनोमालिन्य दूर होजाने से उदयपुर के महाराना ने अपनी कन्या का विवाह जोधपुर के महाराज कुमार सरदारसिंहजी से करना तय किया । वि० सं० १९४१ की वैशाख सुदि ६ (ई० स० १८८४ की ३ मई ) को जोधपुर नगर की सफाई के लिये डाक्टर आर्चिबाल्ड ऐडम्स की निगरानी में म्युनिसिपैलिटी कायम की गई और नाबालिग जागीरदारों के प्रबन्ध के लिये 'महकमा नाबालिगी' खोला गया । साथही जागीरदारों को उनके दरजे के अनुसार दीवानी और फौजदारी मामले सुनने के अधिकार भी दिए गए। ___ इसी वर्ष महाराज ने कलकत्ते जाकर जाते हुए लॉर्ड रिपन से और नवागत लॉर्ड डफरिन से मुलाकात की । इस यात्रा में आप किशनगढ़ और अलवर में भी एकएक दिन ठहरे थे। इस वर्ष की रिपोर्ट से ज्ञात होता है कि, महाराज प्रतापसिंहजी को राज-कार्य में सहायता देने के लिये राजकर्मचारियों की एक सभा (काउंसिल ) बनाई गई और १. वि० सं० १६४१ की कार्तिक सुदि (ई० स० १८८४ के अक्टोबर) में महाराना सज्जनसिंहजी फिर जोधपुर पाए । २. वि० सं० १६४१ (ई० स० १८८४ ) में जोधपुर-रेल्वे और बाँबे बड़ोदा ऐण्ड सैंट्रल इण्डिया रेल्वे के बीच एक दूसरे के माल और मुसाफिरों को लेजाने के लिये सन्धि की गई (ए कलैक्शन ऑफ़ ट्रीटीज़ ऐंगेजमैंट्स ऐण्ड सनद्स, भा० ३, पृ० १६४-१६८) इसके बाद वि० सं० १६५८ (ई ० स० १६०१) में इसमें कुछ सुधार किए गए। वि० सं० १९४६ (ई० स० १८८९) में जोधपुर और बीकानेर की सम्मिलित रेल्वे बनाने के नियम बनाए गए और इसके दूसरे वर्ष इसमें कुछ संशोधन किया गया । वि० सं० १९५२ (ई० स० १८६५) में फिर इस रेल्वे के और 'बॉम्बे, बड़ोदा और सैंट्रल इण्डिया रेल्वे' के बीच दूसरी संधि हुई । वि० सं० १६६१ (ई० स० १६०४) में इसमें संशोधन किए गए और इसके बाद भी समय-समय पर इसमें उचित संशोधन होते रहे । इसी प्रकार 'नॉर्थ वैस्टर्न रेल्वे' के साथ भी मुसाफिरों आदि को आगे लेजान के विषय में संधियां की गई । ३. जागीरदारों के तीन दरजे नियत कर पहले दरजे के जागीरदारों को ६ महीने तक की जेल और ३०० रुपये तक का जुरमाना करने का, तथा १,००० रुपये तक के दीवानी मामलों के सुनने का अधिकार दिया गया । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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