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________________ मारवाड़ का इतिहास मुखियाओं को पकड़ लिया और उनके अनुयायियों से नेक-चलनी की जमानतें लेकर उन्हें वहीं ( अपने-अपने गावों में ) बसा दिया । इसके बाद उनकी देखभाल के लिये साकड़े में हकूमत कायम की जाकर एक हाकिम भेजा गया। वि० सं० १९३६ ( ई० स० १८८२ ) में लोयाने (भीनमाल परगने) का राना सालसिंह बागी हो गया । उसका गांव पहाड़ के पास होने से आस-पास के मीणा, भील आदि जुरायम-पेशा लोग उसे अपना मुखिया समझते थे और वह भी समय पर उनकी सहायता किया करता था । इसीसे उक्त राना पर अनेक अभियोग लगे हुए थे। परंतु जब उसने समझाने पर भी राज्य की आज्ञाओं का पालन करना स्वीकर नहीं किया, तब महाराज प्रतापसिंहजी ने, सेना लेकर, उस पर चढ़ाई की । यद्यपि इस चढ़ाई में राना पकड़ा गया, तथापि कुछ काल बाद १०,००० की जमानत देने पर ( इसमें से ५,००० हरजाने के और ५,००० जुर्माने के थे ) वह छोड़ दिया गया । परंतु इन रुपयों की वसूली के लिये लोयाने की जागीर जब्त करली गई और ठाकुर का लड़का मेश्रो कालेज, अजमेर में पढ़ने के लिये भेज दिया गया । इसीके साथ वहां के अभियुक्त भीलों को भी कैद की सजा दी गई। इस पर राना सालसिंह अपनी जागीर वापस प्राप्त करने के लिये पहले आबू जाकर रैजीडेंट से मिला, परंतु उसके इस मामले में हस्ताक्षेप करने से इनकार करने पर ( वि० सं० १९४० की श्रावन वदि - ई० स० १८८३ की २७ जुलाई ) को जोधपुर लौट आया । उसकी दशा देख महाराज प्रतापसिंहजी को दया आ गई। इसीसे उन्होंने महाराज से कह कर उसे क्षमा दिलवा दी । परंतु इस पर भी वह आश्विन सुदि १० (११ अक्टोबर) को अपनी जागीर की तरफ भाग गया और अपने भाई-बन्धुओं को एकत्रित कर उपद्रव करने का विचार करने लगा। ___ जैसे ही भीनमाल में रहनेवाले हाकिम ने इस बात की सूचना दरबार में भेजी, वैसे ही महाराज प्रतापसिंहजी सेना लेकर उसे दबाने को रवाना हुए। इसके बाद कार्तिक वदि १२ ( २७ अक्टोबर ) को स्वयं महाराज भी शिकार का विचार कर जालोर की तरफ़ चले और शीघ्र ही रैजीडेंट भी आबू से वहां पहुँच गया । महाराज प्रताप के साथ की सेना ने लोयाने के पास के पहाड़ को घेर लिया और मार्ग में की १. यह देवल राजपत था । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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