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________________ मारवाड़ का इतिहास वि० सं० १८१२ की कार्तिक सुदि २ (ई० स० १८३५ की २३ अक्टोबर ) को गवर्नमैन्ट ने मारवाड़ और मेरवाड़े की सरहद के उन २१ गांवों को, जिनको उसने वि० सं० १८८० ( ई० स० १८२४ ) में प्रबन्ध के लिये लिया था, उन्हीं शर्तों पर १ वर्ष के लिये फिर अपने अधिकार में रखने का प्रबन्ध किया । इसी के साथ उसने वहां के ७ गांव और भी इतनी ही अवधि के लिये लेलिए। इन्हीं दिनों मारवाड़ और सिरोही की सरहद पर भील और मीणों ने लूट मार शुरू की । इस पर नीमच से कर्नल शेक्सपीयर, जोधपुर की तरफ़ से गोडवाड़ का हाकिम जोशी सांवतराम और जालोर का हाकिम भंडारी लालचन्द, तथा सिरोही की तरफ़ से दीवान मायाचन्द और सिंघी खूबचन्द सेनाएं लेकर वहां पहुँचे । उक्त प्रदेश की दशा देख गवर्नमैन्ट ने जोधपुर महाराज को वहां के प्रबन्ध के लिये ६०० सवार नियत करने का लिखा । परन्तु राज्य की आय का अधिकांश रुपया भीमनाथ के दबा लेने से इसका कुछ भी प्रबन्ध न होसका।। पहली संधि के अनुसार जोधपुर दरबार की तरफ़ से गवर्नमैन्ट की सहायता के लिये १,५०० सवार रहते थे । परन्तु वि० सं० १८१२ की पौष वदि २ (ई० स० १८३५ की ७ दिसम्बर) को महाराजा के और गवर्नमैन्ट के बीच एक नई सन्धी हुई । इसके अनुसार महाराज ने पूर्व-स्वीकृत १,५०० सवारों की एवज में १,१५,००० रुपये सालाना गवर्नमैन्ट को देने का वादा किया । इसी रुपये से कंपनी की सरकार ने ऐरनपुर में 'जोधपुर लीजियन' नामक सेना तैयार की। १. ए कलैक्शन ऑफ ट्रीटीज़ ऐंगेजमैंट्स एण्ड सनद्स, भा० ३, पृ० १३२-१३३ । यह अवधि वि० सं० १६०० (ई० स० १८४३ ) में समाप्त हुई। उस समय पीछे से लिए हुए ७ गांव तो लौटा दिए गए, परन्तु पहले के २१ गांवों पर वि० सं० १६४२ (ई० स० १८८५) तक गवर्नमेंट का ही अधिकार रहा । उस साल जोधपुर-दरबार और गवर्नमेंट के बीच इस विषय में फिर एक नई सन्धि हुई । २. ए कलैक्शन ऑफ ट्रीटीज़ ऐंगेजमैंट्स एण्ड सनद्स, भा० ३, पृ० १३५ । वि० सं० १८८६ (ई० स० १८३२) में संधि के अनुसार नगर और पारकर के उपद्रवियों को दबाने के लिए गए हुए राज्य के १,५०० सवारों ने अपने कार्य में शिथिलता दिखलाई थी, इसी से गवर्नमेंट ने सवारों के बदले नकद रुपये लेकर नवीन रिसाला बनाना निश्चित किया। ३. वि० सं० १९१४ (ई० स० १८५७ ) में गदर के समय इस सेना ने बग़ावत की, इसी से बाद में इसे तोड़कर इसके स्थान पर ४३ वीं ऐरनपुरा रेजीमेंट कायम की गई । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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