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________________ हो । ख्यातों में लिखा है कि मालानी और बाहड़मेर की तरफ़ के जागीरदार और भोमिये सिंध, गुजरात, कच्छ और भुज में घुस कर चोरी डकैती किया करते थे । गवर्नमेन्ट के कईबार लिखने पर भी जब राज्य की तरफ़ से इसका प्रबन्ध न हो सका, तब उसके प्रतिनिधि ने वि० सं० १८९१ ( ई० स० १८३४ ) में जोधपुर, सिंध और गुजरात से फ़ौजें इकट्ठी कर बाहड़गेर में मुक़ाम किया; और उस प्रान्त के जागीरदारों को मिलने के लिये बुलवाया । इसके बाद जब वे मिलने को आए, तब उनमें के २६ जागीरदारों को कैद कर कच्छ भुज की तरफ़ भेज दिया । बाहड़मेर, जसोल, गुढ़ा, नगर वगैरा पर जो १२,००० रुपये का राज्य-कर लगता था वह गवर्नमैन्ट के यहां जमा होने लेगा, और मालानी का प्रबन्ध पोलिटिकल एजेन्ट ने अपने अधिकार में लेलिया । इसीके साथ वहां की राज्य-कर की आय के उपर्युक्त १२,००० रुपयों में से उक्त प्रान्त के प्रबन्ध के ख़र्च को काट कर बाकी के ( ४,००० ) रुपये जोधपुर राज्य को दिए जाने लगे । वि० सं० १८९३ ( ई० स० १८३६) में वहां का प्रबन्ध पूरी तौर से रैजीडैंट की देख-भाल में होने लगा, और वहां का राजकीय दफ़्तर उठा दिया गया । महाराजा मानसिंहजी. इन्होंने चढ़े हुए रुपयों की एवज़ में सांभर और नांवे की नमक की आमदनी गवर्नमेंट को सौंप दी । परन्तु फिर भी जब गवर्नमैन्ट के पास करके रुपये बराबर नहीं पहुँचे, तब उसने, वि० सं० १८६३ में, पहले सांभर और बाद में नांवे के नमक के दरीबों पर अधिकार कर लिया । १. वि० सं० १८६१ ( ई० स० १८३४ ) के अन्त में फ़ौजराज, कुशलराज और सुमेरमल को क़ैद करवाने के साथ दिया और उक्त स्थान पर सेना भिजवा दी परन्तु पोलिटिकल झगड़ा शान्त कर दिया । । भीमनाथ ने कह सुनकर ही भाद्राजन ज़ब्त करवा एजेन्ट ने बीच में पड़ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat २. इस प्रान्त के ४६० गांवों में से राज्य के केवल एक गांव को छोड़ कर बाकी सब जागीरमातहत हैं, और राज्य को सालाना दारों के अधिकार में हैं | ये जागीरदार जोधपुर के ( १००१३ देसी रुपयों के बदले ) ६६६३-६ ० कलदार रुपये देते हैं । मारवाड़ की ख्यातों में १२,०००) रुपया देना लिखा है । परन्तु इस में अन्य लागें भी शामिल हैं । ( ए कलैक्शन ऑफ ट्रीटीज़ एैगेजमेंटस् एण्ड सनट्स, भा० ३, पृ० ११६ ) । ४२६ www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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