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________________ महाराजा मानसिंहजी जब महाराज को उधर का विश्वास. हो गया, तब इन्होंने उदासीनता त्याग कर सरदारों और मुत्सदियों पर अपनी कृपा प्रकट की और कार्तिक सुदि ५ (ई० स० १८१८ की ३ नवम्बर ) को क़रीब ३ वर्ष बाद राजसी ठाट से बाहर आकर दर्बार किया । इसमें मुहता अखैचंद आदि को यथावत् कार्य करते रहने का आदेश दिया गया। जब कुछ दिनों में सबको महाराज की तरफ़ का विश्वास हो गया, तब अचंद ने राज्य की आमदनी बढ़ाने के लिये प्रत्येक सरदार से एकएक गांव राज्य को लौटा देने की प्रतिज्ञा करवाई । इसके बाद वि० सं० १८७७ को वैशाख सुदि । ( ई० स० १८२० की २१ अप्रेल ) को जिस समय अचंद मंडोर से लौट रहा था, उस समय नागोरी दरवाजे के बाहर पड़ी हुई राज्य की वेतन-भोगी विदेशी-सेना ने, अपनी तनख़्वा के न मिलने के कारण, उसे पकड़ लिया। इस पर इधर तो महाराज उसके छुड़वाने का प्रबन्ध करने लगे और उधर इन्होंने वि० सं० १८७७ की वैशाख सुदि १४ ( ई० स० १८२० की २७ अप्रेल ) को अखैचंद के ८४ अनुयायियों को किले में कैद करवादिया । इसके बाद अखचंद भी लाकर किले में, झरने के पास, पहरे में रक्खा गया । प्रथम ज्येष्ठ सुदि १४ (ई० स० १८२० की २६ मई ) को उनमें के अखैचंद आदि आठ मुखियाओं को ज़बरदस्ती विष-पान करवाकर या सख़्ती करवा कर मार डाला गया । इसके बाद द्वितीय ज्येष्ठ सुदि १३ (ई० स० १८२० की २४ जून) को फिर कुछ आदमी कैद किए गए; और इसके दो दिन बाद नींबाज-ठाकुर की हवेली पर सिंघी तैराज आदि की अधीनता में सेना भेजी गई । इस पर पहले तो ठाकुर सुलतानसिंह ने मकान के अन्दर से इसका सामना किया, परन्तु अन्त में १. खीची बिहारीदास भाग कर खेजड़ले की हवेली में चला गया था, इसलिये महाराज ने उस पर सेना भेजी । वहां युद्ध होने पर वह मारा गया । २. इनमें से (१) लोडते के नथकरण, (२) मुहता अखैचन्द, (३) व्यास बिनोदीराम, (४) पंचोली जीतमल और (५) जोशी फ़तचन्द को तो ज़हर पिला कर मारा गया और (१) धांधल दाना, (२) मूला और (३) जीया को सख्ती करवा कर मारा गया । ३. जोशी श्रीकृष्णा, मुहता सूरजमल और उसके कुटुम्बी, व्यास शिवदास और पंचोली गोपालदास । इनमें के पहले दोनों भादों सुदि ४ (ई० स० १९२० की ११ सितम्बर ) को विष द्वारा मारे गए। ४२३ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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